RADAR Full Form (Radio Detection and Ranging)

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RADAR Full Form

RADAR Full Form in Hindi, RADAR: Radio Detection and Ranging (रेडिओ डिटेक्शन एंड रेंजिंग)

RADAR का फुल फॉर्म “Radio Detection and Ranging” (रेडिओ डिटेक्शन एंड रेंजिंग) होता है. रडार (Radar) वस्तुओं का पता लगाने वाली एक प्रणाली है जो सूक्ष्मतरंगों का उपयोग करती है। इसकी सहायता से गतिमान वस्तुओं जैसे वायुयान, जलयान, मोटरगाड़ियों आदि की दूरी, ऊंचाई, दिशा, चाल आदि का दूर से ही पता चल जाता है। इसके अलावा मौसम में तेजी से आ रहे परिवर्तनों (Weather Formations) का भी पता चल जाता है। RADAR शब्द मूलतः एक संक्षिप्त रूप (RADAR Full Form) है जिसका प्रयोग अमेरिका की नौसेना ने 1940 में ‘रेडियो डिटेक्शन ऐण्ड रेंजिंग’ (Radio Detection and Ranging) के लिये प्रयोग किया था। बाद में यह संक्षिप्त रूप इतना प्रचलित हो गया कि अंग्रेजी शब्दावली में आ गया और अब इसके लिये बड़े अक्षरों (कैपिटल) का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसकी खोज का श्रेय रॉबर्ट वाटसन वाट्ट को दिया जाता है.

RADAR की विशेषताएं

RADAR का फुल फॉर्म Radio Detection And Ranging होता है.RADAR एक यंत्र है जिसकी सहायता से Radio Waves का उपयोग करके दूर की वस्तुओं का पता लगाया जाता है तथा उनकी स्थिति अर्थात दिशा और दूरी ज्ञात की जाती है. आँखों से जितनी दूर दिखाई पड़ सकता है रेडार द्वारा उससे कहीं अधिक दूरी की चीजों की स्थिति का सही पता लगाया जा सकता है. Radar की सबसे बड़ी विशेषता ये है कि Fog, Mist, Rain, Snow, Smoke अथवा Dark इनमें से कोई भी इसकी कार्य प्रणाली में बाधक नहीं होते हैं लेकिन RADAR आँख की पूरी बराबरी नही कर सकता क्योंकि इससे वस्तु के रंग तथा बनावट का सूक्ष्म ब्योरे का पता नहीं लगे जा सकता केवल आकृति का आभास होता है. RADAR से पृष्ठभूमि विषम तथा बड़ी वस्तुओ का जैसे समुद्र पर तैरते जहाज, ऊँचे उड़ते वायुयान, द्वीप, सागरतट इत्यादि का बड़ी अच्छी तरह से पता लगाया जा सकता है.

Radar का इतिहास

सन 1886 में Radio Waves के आविष्कर्ता Heinrich Herts ने ठोस वस्तुओ से इन तरंगों का परावर्तन होना सिद्ध किया था. Radio Pulse के परावर्तन दूरी का पता लगाने का कार्य सन 1925 में किया जा चुका था और सन 1930 तक RADAR के सिद्धांत का प्रयोग करने वाले कई सफल उपकरणो का निर्माण हो चुका था किंतु द्वितीय विश्वयुद्ध में ही RADAR का प्रमुख रूप से उपयोग आरंभ हुआ.

RADAR का मुख्य कार्य

Radar एक इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स (RADAR Full Form) भेजता है, जो वायुमंडल के माध्यम से Transmitted होता है. जिन वस्तुओं को कंपन के मार्ग में Target किया जाता है वे अत्यन्त ऊर्जा को बिखेर देती हैं, लेकिन कुछ को वापस रडार पर Reflected किया जाता है. बिखरे हुए विकिरण रिसीवर के पास जाते हैं. यदि अधिक Target हैं तो बिखरे हुए सिग्नल एक मजबूत सिग्नल बनाने के लिए गठबंधन करते हैं. रेंज, स्थिति, दिशा और ऊंचाई का मान इन बिखरे संकेतों से मापा जाता है.

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आज के समय में RADAR Technique अत्याधुनिक हो चुकी है. RADAR तकनीक का उपयोग सैन्य जरूरतो के अलावा Airport से लेकर अंतरिक्ष पर नजर रखने में भी किया जा रहा है. RADAR जहाजो को धरती पर सुरक्षित Landing कराने, मौसम की जानकारी देने, बर्फ, धुंध बादल या वर्षा के बारे में सूचित प्राप्त करने के लिए किया जाता है.

RADAR अलग-अलग कार्यों जैसे मौसम, अंतरिक्ष आदि के लिए अब कई अलग तरह के रूप में प्रयोग किया जाता है. पुलिस के द्वारा उपयोग किये जाना वाले RADAR, Gun RADAR का ही एक छोटा रूप है जिसके द्वारा पुलिस आपकी स्पीड की जानकारी लेता है. इसके साथ में यह भी पता लगा लेता है की वस्तु पास आ रही है या दूर जा रही है और उसका साइज़ क्या है.

RADAR का मुख्य उपयोग

RADAR तकनीक का उपयोग आज के समय में लगभग सभी जगह पर किया जा रहा है जैसे कि –

  • RADAR का उपयोग अन्य जहाजों से टकराव को रोकने के लिए किया जाता है.
  • RADAR का उपयोग सैन्य में लक्ष्य की स्थिति निर्धारित करने के लिए किया जाता है.
  • RADAR का उपयोग भूवैज्ञानिक पृथ्वी की पपड़ी की संरचना का निर्धारण करने के लिए भी करते हैं.
  • RADAR का उपयोग विमान में अपने रास्ते में बाधाओं के बारे में विमान को चेतावनी देने के लिए किया जाता हैं.
  • RADAR का उपयोग मौसम विज्ञानियों और मौसम के पूर्वानुमान में, मौसम का निर्धारण करने के लिए किया जा रहा हैं.
  • युद्ध के समय में शत्रु के वायुयानों तथा अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों की उपस्थिति इसके द्वारा ज्ञात की जाती है।
  • आकाश में वायुयानों तथा समुद्र में जहाजों का सुरक्षित रूप से चलना,रडार के कारण ही सम्भव हो पाया है।
  • वायुयान के चालक रडार की सहायता से वायुयान के मार्ग में आने वालों अवरोधों जैसे मीनार, पहाड़,बादल आदि का पता लगाते हैं। इसी प्रकार समुद्र के अन्दर जहाज के मार्ग में आने वाले बड़े-बड़े हिम खण्डों (Iceberg) चट्टानों आदि का पता भी रडार द्वारा लगाया जाता है।
  • रडार की सहायता से मौसम की भी भविष्यवाणी की जाती है। पृथ्वी के गर्भ में छिपे खनिजों का पता भी इसकी सहायता से लगाया जाता है।

Radar का सिद्धांत

Radar का सिद्धांतप्रतिध्वनि (echo) के सिद्धान्त से मिलता-जुलता है। इसमें रेडियोप्रेषी (Transmitter) व अभिग्राही (Receiver) नामक दो यन्त्र एक ही स्थान पर लगे होते हैं तथा इनका सम्बन्ध एरियल से होता है। प्रेषी (Transmitter)  व अभिग्राही (Receiver) भी एक दूसरे से जुड़े रहते हैं। प्रेषी (Transmitter) से विद्युत चुम्बकीय तरंगें उत्पन्न होकर अन्तरिक्ष में जाती हैं तथा वायुयान आदि से टकराकर परावर्तित होकर प्रेषी (Transmitter) में वापस लौट आती हैं तथा प्रेषी (Transmitter) के साथ जुड़े ग्राही (Receiver) द्वारा ग्रहण कर ली जाती है। इससे वायुयान की उपस्थिति, दिशा आदि का ज्ञान हो जाता है । रडार के द्वारा वायुयान की दिशा ज्ञात करने के लिये इसमें दो एरियल एक दूसरे के लम्बवत लगाये जाते हैं तथा ऊँचाई ज्ञात करने के लिये दो एरियल एक-दूसरे के समान्तर लगाये जाते हैं।

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