RCEP Full Form (Regional Comprehensive Economic Partnership)

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RCEP Full Form

RCEP Full Form in Hindi, RCEP: Regional Comprehensive Economic Partnership (क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी)

RCEP का फुल फॉर्म “Regional Comprehensive Economic Partnership है. हिंदी में इसका मतलब क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी” होता है.

आरसीईपी क्या है? (RCEP Agreement in Hindi)

दुनिया के अधिकांश देश अपनें देश की प्रगति के लिए अन्य देशों के साथ कई तरह के समझौते करते है। इस समझौते में एक या एक से अधिक देश शामिल हो सकते हैं। यदि कोई  भी देश इस प्रकार के समझौतों में शामिल होता है, तो उसका मुख्य उद्देश्य इन समझौतों के तहत अधिक से अधिक लाभ अर्जित करना होता है। RCEP  ऐसा ही एक समझौता (RCEP Full Form) है. यह एक व्यापार समझौता है जिसमे शामिल सदस्य देश एक दूसरे को व्यापार में अनेक प्रकार की सहूलियत देते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको RCEP के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे है।

RCEP भारत सहित 15 देशों के बीच हुआ एक व्यापार समझौता है| इस समझौते के तहत सदस्य देशों के बीच एक-दूसरे के साथ व्यापार करने के लिए एक ही नियम होगा, जिसका लाभ सभी को मिलेगा. इस समझौते के अंतर्गत सदस्य देशों को अपनें सामान का आयात या निर्यात करनें पर लगने वाला टैक्स या तो बहुत ही कम देना होता है या भरना ही नहीं पड़ता है।

यदि हम RCEP में शामिल सदस्य देशों कि बात करे तो, इसमें 10 आसियान देशों के अलावा चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल हैं। वर्ष 2013 से RCEP में भारत भी शामिल था, परन्तु अपने व्यापारिक हितों को लेकर यह इस समझौते से बाहर निकल गया।

RCEP में भारत के शामिल न होनें का कारण (Reason for India Not Joining RCEP)

भारत अपने व्यापारिक हितों को देखते हुए RCEP समझौते की वार्ताओं से हट गया क्योंकि भारत सरकार के अनुसार, इसमें आयात बढ़ने पर अंकुश लगाने के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं है। RCEP समझौते के तहत आयात शुल्क या तो काफी कम हो जायेगा या समाप्त हो जायेगा। ऐसी स्थिति में भारत में विदेशी सामान बहुत अधिक मात्रा में एकत्र हो जायेगा, जिससे स्थानीय उत्पादकों को भारी नुकसान होगा।

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भारत के इस समझौते (RCEP Full Form) से बाहर होने का एक कारण यह भी है कि भारत के किसान और व्यापारी संगठन भी इस समझौते का पहले से ही विरोध कर रहे थे, उनका मानना था कि यदि भारत इसमें शामिल हुआ तो डेयरी उत्पाद से जुड़े अनेक संगठनों को भरी नुकसान होगा और वह पूरी तरह से तबाह हो जाएंगे। RCEP समझौते के कारण न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया से दुग्ध उत्पाद भारतीय बाजार में भर जाएंगे और इससे देसी डेयरी उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। हालांकि, भारत के लिए इस समझौते में शामिल होने का रास्ता बंद नहीं हुआ है। दूसरे देशों को इस समझौते का हिस्सा बनने के लिए इंतजार करना होगा, परन्तु भारत अपनी इच्छानुसार जब चाहे इसमें शामिल हो सकता है।

RCEP का भारत पर असर (RCEP’s Impact On India)

RCEP में आसियान के दस सदस्य देशों के अतिरिक्त भारत, चीन, जापान, साउथ कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी सम्मिलित है। इस व्यापारिक समझौतें से लगभग 3.4 अरब लोगों के मध्य समझौता होगा। यह अभी तक का विश्व का सबसे बड़ा फ्री ट्रेड समझौता है। विशेषज्ञों के अनुसार इस समझौतें से भारत पर बहुत ही अधिक बोझ बढ़ेगा। भारत का व्यापार घाटा RCEP के ज्यादातर सदस्य देशों के साथ है। व्यापार घाटें का अर्थ है, कि आयात अधिक और निर्यात कम है। इस समझौतें के द्वारा यदि आयात टैक्स घटता है तो यह व्यापार घाटा बढ़ सकता है।

प्रस्ताव क्या है (What Is The Proposal)

RCEP समझौतें के अनुसार भारत चीन से आने वाले लगभग 80 प्रतिशत उत्पादों पर शुल्क घटा या हटा सकता है। इससे भारत में प्रतियोगिता और अधिक बढ़ सकती है। इसी प्रकार से ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड से आयातित 86 प्रतिशत उत्पादों तथा जापान और दक्षिण कोरिया के 90 प्रतिशत उत्पादों पर सीमा शुल्क में कटौती हो सकती है। यह सीमा शुल्क कटौती 5, 10, 15, 20 और 25 साल की अवधि तक पूर्ण रूप में लागू हो जाएगी। वर्तमान समय 2018-19 में RCEP के सदस्य देशों में से चीन, दक्षिण कोरिया और आस्ट्रेलिया सहित 11 देशों के साथ व्यापार में घाटा प्राप्त हुआ है।

भारतीय उद्योग पर असर

RCEP समूह में चीन भी सम्मिलित है, इससे भारतीय उद्योगपति चिंतित है। इस समझौतें से डेयरी, धातु, इलेक्ट्रॉनिक्स और रसायन समेत विभिन्न क्षेत्रों में भारत सरकार के द्वारा शुल्क कटौती हो सकती है। भारतीय उद्योग ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि शुल्क कटौती न की जाए इससे विदेशी वस्तुएं भारत में बड़ी संख्या में आएगी जिससे स्थानीय उद्योगों पर इसका बुरा असर पड़ सकता है।

भारतीय उद्योग पर इसका प्रभाव (RCEP Impact on Indian Industry)

विशेषज्ञों के अनुसार, कोविड-19 की वजह से भारत की आर्थिक स्थिति पहले से ही काफी बिगड़ चुकी है और ऐसे में यदि भारत RCEP समझौते में शामिल रहता है, तो भारत का आत्मनिर्भर भारत अभियान किसी भी स्थिति में सफल नहीं हो सकता, इसलिए भारत ने स्वयं को इस समझौते से अलग कर लिया है।  हालाँकि इस समझौते को चीन के लिए बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है, कि इससे चीन का आर्थिक प्रभाव और बढ़ेगा परन्तु भारत के इसमें शामिल न होनें के कारण चीन को काफी बड़ा झटका लगा है।

RCEP में शामिल सदस्य देशों के नाम (Names of member countries included in RCEP)

RCEP समझौते (RCEP Full Form) में शामिल देश निम्नलिखित हैं:

  • चीन
  • जापान
  • दक्षिण कोरिया
  • ऑस्ट्रेलिया
  • न्यूजीलैंड
  • ब्रूनेई
  • कंबोडिया
  • इंडोनेशिया
  • लाओस
  • मलेशिया
  • थाईलैंड
  • वियतनाम
  • म्यांमार
  • फिलीपींस
  • सिंगापुर

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