Shitanshu Chaurasiya Interview (शीतांशु चौरसिया यूपीएससी 2013 रैंक 58 का इंटरव्यू)

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Shitanshu Chaurasiya Interview

Shitanshu Chaurasiya Interview / शीतांशु चौरसिया यूपीएससी 2013 रैंक 58 का इंटरव्यू

मैंने किसी भी परीक्षा में सफल होने के आधारभूत नियमों अर्थात एकाग्रता और संतुलित दृष्टीकोण और साथ ही उचित समय प्रबंधन का पालन किया

श्री शीतांशु चौरसिया NIT इलाहबाद से B.tech ( इलेक्ट्रिकल ) की डिग्री प्राप्त की है | वे सिविल सेवा परीक्षा २०१२-१३ के सफल अभ्यर्थियों की समग्र सूचि में ५८ वा स्थान पाप्त करने मे सफल रहे है | उन्होंने ने यह उपलब्धि अपने पहले ही प्रयास में प्राप्त कर ली | अपनी सफलता में वे अपनी परिवार की भूमिका को बहुत महत्वपूर्ण मानते है | श्री चौरसिया की दृष्टी में उनका कठिन परिश्रम और उनके परिवार का आशीर्वाद उनकी सफलता के रूप में फलीभूत हुआ है |

मेरे साक्षात्कार का सारांश

अंततः वह दिन आ गया जब मैं या तो बेचैनी से या फिर उत्तेजना से भरे अन्य अभ्यर्थियों से मिला | मैं अन्य अभ्यर्थियों के साथ बातचीत में संलग्न रहा और UPSC के चित्ताकर्षक वातावरण का आनन्द उठाता रहा | सत्क्षात्कर सूची में मेरा नम्बर चौथा था और अपनी बारी आने पर मैंने एक मुस्कान के साथ प्रवेश किया | मैंने तेजी से स्थिति से सामजस्य बैठा लिया , इसलिए मैं अत्यधिक सहज था | उन्होंने मेरे जीवन जीवन के समस्त पहलुओ के से सम्बंधित प्रश्न पूछे ,जिनमे मेरी रुचियों से लेकर IFS, अंतररास्ट्रीय सम्बन्ध , पिछली जॉब प्रोफाइल , पिछली कंपनी , भ्रस्टाचार , प्रौद्योगिकी , इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और अंत में मेरा गृहराज्य तक शामिल थे |

मैंने अपने उत्तरों में थोडा हास्य का पुट डाला , विशेष कर जब उन्होंने उन्होंने बिभिन्न राज्यों के लोकनृत्यो के सम्बन्ध में पूछा | इस प्रकार कक्ष का मूड हास्य और सौहार्द्य पूर्ण था | साक्षात्कार के दौरान उन्होंने ने यह स्वीकार किया की मै अपने लक्ष्य के प्रति बहोत सकेंद्रित हूँ , क्योकि मेरी रूचि (यात्रा), प्रिय कार्य (फोटोग्राफी और ट्रैकिंग), और आकांक्षा में एक संगति थी |

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फिर उन्होंने मुझसे इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और भ्रस्ताचार के निवारण , अपराध रोकने तथा किसानों की दशा सुधारने के सम्बन्ध में केवल नवोन्मेषी विचार बताने के लिए कहा , जिसकी मैं अपेक्षा कर ही रहा था | अतः मैंने बोर्ड की अनुमति से एक विराम लिया और सोचकर एक बहुत ही सुगठित उत्तर दिया | सत्क्षत्कर लगभग ३० मिनट तक चला और मैंने उसके प्रत्येक क्षण का आनंद उठाया | यह निस्संदेह शीर्ष श्रेणी के नौकरशाहो के साथ एक बहुत अच्छी चर्चा थी | अंतिम परिणाम यह रहा कि मुझे सत्क्षत्कर में कुल २२५/३०० अंक मिले | साथ ही एक महीने बाद मेरा साक्षात्कार भारतीय इंजीनियरिंग सेवा (IES) के लिए हुआ जिसमे मैंने १३४/२०० अंको के साथ अखिल भारतीय रैंकिंग में दूसरा स्थान प्राप्त किया |

विस्तृत साक्षात्कार

साक्षात्कार बोर्ड में मध्य में बैठी अध्यक्ष महोदया सहित पांच सदस्य थे |

मैंने उनसे बैठने की अनुमति मांगी और अध्यक्ष ने मुझे बैठने और सहज होने को कहा |

अध्यक्ष : तो मिस्टर शीतांशु आपका यात्रा करने का शौक और IFS के लिए पहली वरीयता अन्तःसम्बंधित है ?

शीतांशु चौरसिया : जी हा IFS के चयन का यह भी एक कारण था |

अध्यक्ष : अन्य कारण कौन से थे ?

शीतांशु चौरसिया : मेरे कार्यानुभव ने मुझे विश्व का काफी भ्रमण कराया , जिसने जिसने मुझे IFS ज्वाइन करने की प्रेरणा दी , जो की एक आगे का कदम होगा , क्योकि इससे मुझे अपने देश का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिलेगा |

अध्यक्ष : उन स्थानों के नाम बताइए जहा आपने यात्रा की है ?

शीतांशु चौरसिया : भारत में मैंने जम्मू और कश्मीर से ले कर तमिलनाडु तक और राजस्थान से ले कर पश्चिम बंगाल तक अनेक राज्यों की यात्रा की है | देश के बहार मैंने कोरिया , हांगकांग और नेपाल की यात्रा की है |

अध्यक्ष : (मुस्कराते हुए) दक्षिण कोरिया को सर्वोत्तम चीजो में से एक बताइए |

शीतांशु चौरसिया : मेरे मतानुसार , कोरियाई लोगो ने विकास के साथ साथ अपनी संस्कृति और परम्पराओ को सुरक्षित रखा है , जो काफी प्रशंसनीय है |

अध्यक्ष : मुझे नेपाल के सम्बन्ध में कोई ख़राब बात बताइए |

शीतांशु चौरसिया : एक पर्यटक के रूप में मैंने पाया कि वह आधारभूत संरचना की गंभीर कमी है और उनका भ्रस्टाचार भी भयंकर है |

अध्यक्ष : आपने अपनी नौकरी क्यों छोड़ी?

शीतांशु चौरसिया : अपना प्रोजेक्ट पूरा करने और समुचित रूप से सौप देने के पश्चात् मैंने अपनी नौकरी इसलिए छोड़ दी क्योकि सिविल सेवा परीक्षा के दौरान मै नया प्रोजेक्ट हाथ में नहीं लेना चाहता था |

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(अध्यक्ष ने पहले सदस्य को प्रश्न पूछने को कहा)

पहला सदस्य : आपने नृत्य को अपना शौक लिखा है ; तो मुझे भारत के बिभिन्न नृत्यों के बारे में बताइए |

शीतांशु चौरसिया : राजस्थान का घुसर और कालबेलिया , महारास्ट्र का लावणी , पूर्वी भारत का छाउ ,असाम का बिहू , कर्णाटक का यक्श्ज्ञान , तमिलनाडु का कोल्तम ….

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पहला सदस्य ( मुस्कारते हुए ): आप भांगड़ा को भूल गए ?

शीतांशु चौरसिया : सर यह मेरा पसंदीदा लोक नृत्य है और उसके बारे में मैं बताने वाला ही था |

पहला सदस्य : यूपी के नृत्य ?

शीतांशु चौरसिया : उत्तर प्रदेश का कत्थक अत्यधिक प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य है | रासलीला , चरकुला और बरसना होली भी वह के कुछ लोकनृत्य है |

पहला सदस्य : बरसाने की होली क्या है ?

शीतांशु चौरसिया : यह मेरे मूल निवास स्थान आगरा के निकट मथुरा अर्थात ब्रज क्षेत्र का एक लोकनृत्य है जिसे लट्ठ मार होली भी कहते है | यह गोकुल के लड़कों और बरसाने की लड़कियों द्वारा होली के त्यौहार के दौरान आयोजित किया जाता है |

(मेरे द्वारा दिए गए इस हास्य के पुट से सभी हसने लगते है|)

पहला सदस्य : अच्छा आपकी कंपनी में निविदा देने (टेंडरिंग) की क्या प्रक्रिया थी ?

शीतांशु चौरसिया : इंजीनियरिंग विभाग में होने के कारण हम अपने प्रोजेक्ट विनिर्देश जारी करते थे और विक्रेताओ से विभिन्न ऑफर आमंत्रित करते थे |तकनीकी सभ्यताओ (TECHNICAL FEASIBILITIES) के आधार पर हम वाणिज्यिक विभाग को क्वालिफाइड विक्रेताओ की सिफारिस करते थे , जहा वे एक पारदर्शी मंच पर गुप्त बोलिया संचालित करते थे | और अंतिम आदेश न्यूनतम मूल्य उद्घृत करवाने वाले बोलीदाता को दे दिया जाता था |

पहला सदस्य : रिवर्स टेंडरिंग या बिपरीत निविदा क्या होती है ?

शीतांशु चौरसिया : क्षमा करे , सर मुझे नहीं पता |

(अध्यक्ष दुसरे सदस्य को प्रश्न पूछने के लिए कहते है |)

दूसरा सदस्य : इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग या भूगोल में से कौन सा विषय आपको अधिक पसंद है ?

शीतांशु चौरसिया : जी इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग |

दूसरा सदस्य : क्यों?

शीतांशु चौरसिया : इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग मेरे लिए किसी विषय से बढ़कर है | मैंने इस क्षेत्र में ८ वर्ष अधिक समय लगाया है | यह मेरे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण भाग था | जिसमें मैंने जीवन के महत्वपूर्ण पहलू सीखे |

दूसरा सदस्य : जैसे ?

शीतांशु चौरसिया : इसने मुझे अधिक विश्लेष्णात्मक और नवोन्मेशी व्यक्ति बना दिया है |

दूसरा सदस्य : (एक व्यंगात्मक मुस्कान के साथ) अच्छा ठीक है | यह बताइए की प्रौद्योगिकी किसानो की सहायता किस प्रकार कर सकती है ? हमें केवल नवोन्मेशी विचार ही बताये |

शीतांशु चौरसिया : सर मुझे इस बारे में सोचने के लिए थोडा समय चाहिये |

दूसरा सदस्य : ठीक है आप समय ले सकते है |

(मैंने कुछ ऐसे विचार बताने की कोशिश की जो वर्तमान समय में भले ही संभव न हो पर निकट भविष्य में संभव हो सकते है |)

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शीतांशु चौरसिया : किसानो को रिसाव के बिना सीधे लाभ प्रदान करने के लिए गावो को कम्युनिकेशन लिंक्स से जोड़ कर वित्तीय समावेश का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है | इसके लिए व्यवसाय संपर्ककर्ता उपयुक्त संग्रह सुनिश्चित करने के लिए हाथ में पकड़ी जाने वाली डिजिटल मशीन के द्वारा बारकोड रसीदों के द्वारा किसानो की बचत एकत्र करेंगे | सौर उर्जा से चलने वाली पोर्टेबल एटीएम मशीन केन्द्रीय संस्था के अलावा गाव के परिसर में स्थापित की जाये | चौपाल में बड़े स्क्रीन लगा कर न्यूनतम समर्थन मूल्यों , खुले बाजार मूल्यों , उर्वरको के मूल्यों , कीटनाशको और महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओ की जानकारी दी जाएगी |

तीसरा सदस्य : आपने नेपाल में भ्रस्टाचार का उल्लेख किया | भारत में भ्रस्टाचार का मुख्य कारण बताइए |

शीतांशु चौरसिया : भारत में भ्रस्टाचार के इतिहास का पता लगाना काफी मुश्किल है , किन्तु मेरा विचार यह है की यह लाइसेंस राज के दौरान तीव्र हुआ , जब हमारी अर्थव्यवस्था मुख्यतः बंद थी और ठेके तथा लाइसेंस देने के लिए प्राधिकारियों को अत्याधिक विवेकाधीन शक्तिया प्रदान की गयी थी | अतः अभिशासन में पारदर्शिता और जबावदेही का भारी अभाव था , जिससे भ्रस्टाचार को और बढ़ावा मिलता था | शीघ्र ही ये सब एक प्रथा बन गयी |

(अध्यक्ष मुझे अगला प्रश्न पूछने के लिए पुनः बीच में आई |)

अध्यक्ष : आप क्या समझाते है की विवेकाधीन शक्तियां समाप्त कर हम भ्रष्टाचार को समाप्त कर सकते है ?

शीतांशु चौरसिया : भ्रष्टाचार अनेक कारको का अंतिम परिणाम है , जिनमे से विवेकाधीन शक्तियां एक कारक है | कुछ मामलों में तीव्र और प्रभावोत्पादक अभिशासन के लिए विवेकाधीन शक्तियां आवश्यक भी होती है | किन्तु हम कानून और उचित प्रक्रियात्मक दिशानिर्देश बनाकर भ्रष्टाचार को न्यूनतम कर सकते है |

तीसरा सदस्य : एक तकनीकी व्यक्ति के रूप में हमें बताइए की यदि आप जिलाधीश बन जाते है तो आप भ्रष्टाचार से किस प्रकार मुकाबला करेंगे ?

शीतांशु चौरसिया : मैं इन्टरनेट और मोबाइल फोन जैसे माध्यमो का प्रयोग कर शिकायत निवारण तंत्र को और अधिक प्रभावोत्पादक बनाऊंगा , और साथ ही अपने आधीन एक जांच समिति भी गठन करूँगा , जो सभी शिकायतों को गंभीरता से देखेगी | साथ ही हम महत्वपूर्ण विभागों के परिसरों में एक डिजिटल शिकायत बॉक्स भी रखवा सकते है , शिकायतों की आवाज और तस्वीरे रिकॉर्ड कर लेगा | इस प्रकार हम इन उपायों से जनता और उसकी शिकायतों के निकतम जा सकते है और उन्हें समय पर दूर कर सकते है |

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तीसरा सदस्य : क्या आप समझते है की भष्टाचार मिटाने के लिए ये उपाय पर्याप्त है ?

शीतांशु चौरसिया : ये केवल कुछ पहले है , जिन्हें इस खतरे को दूर करने के लिए प्रयुक्त किया जा सकता है , जो जनता के सहयोग के बिना अप्रभावी होगा |

(अध्यक्ष चौथे सदस्य से प्रश्न पूछने के लिए कहती है |)

चौथा सदस्य : ताज महल के अतिरिक्त आगरा की सबसे महत्वपूर्ण चीज क्या है ?

शीतांशु चौरसिया : आगरा येरुशलम की भांति विश्व के उन बहुत थोड़े से स्थानों में से एक है , जहाँ दो धर्मो अर्थात दीन ए इलाही और राधास्वामी आस्थाओ का जन्म हुआ |

(मैंने अध्यक्ष की आँखों में उत्सुकता देखी और उन्होंने ने मुझे अगला प्रश्न पूछा |)

अध्यक्ष : हमें आगरा के सम्बन्ध के बारे में और बताइए |

शीतांशु चौरसिया : अनेक सांस्कृतिक स्थलों के अतिरिक्त आगरा में केंद्रीय हिंदी निदेशालय है जो हिंदी के विदेशी एवं दूसरी भाषा के रूप में शोध और शिक्षण को समर्पित एकमात्र संसथान है | साथ ही आगरा में १९ वी और २० वी सदी के अनेक कॉलेज और महाविद्यालय है जैसे की एसएन मेडिकल कॉलेज , आगरा कॉलेज और दयालबाग इंस्टिट्यूट | आगरा का नाम आगरिया जनजाति पर आधारित है जो महाभारत में उल्लिखित आग्रेवन में रहती थी जो उसी स्थान पर था जहा वर्तमान आगरा है |

(अध्यक्ष बिच में हस्तक्षेप करते हुए |)

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अध्यक्ष : धन्यवाद मिस्टर शीतांशु , आपका फोकस देख कर अच्छा लगा |

यहाँ मेरा साक्षात्कार समाप्त हो गया , मै अपने उत्तरों को ले कर थोडा आशंकित था ,

और मुझे व्यकित्व परिक्षण में २२५/३०० अंक मिले |

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