Kahawat aur Lokokti (कहावत और लोकोक्ति का अर्थ और परिभाषा)

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Kahawat aur Lokokti

Kahawat aur Lokokti / कहावत और लोकोक्ति का अर्थ और परिभाषा / Sayings & Proverbs in Hindi / मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर

कहावत की परिभाषा (Definition of Sayings) 

कहावत हिंदी भाषा का शब्द है, जिसका अर्थ होता है “कही हुई बात”. लेकिन सारी कही हुई बात को कहावत नहीं कहा जाता. कहावत का मतलब होता है जिसमें जीवन के अनुभव का सार हो, तथा जो काल कसौटी पर खरा उतरे उसे ही हम कहावत के अंतर्गत रेखांकित करेंगे. अंग्रेजी में इसे Saying भी कहा जाता है. इस प्रकार हम कह सकते हैं कि-

“जिस अनुभव की बात को संक्षेप में चमत्कारिक ढंग से कहा जाए, वह कहावत कहलाती है”

लोकोक्तियाँ (proverbs) की परिभाषा

किसी विशेष स्थान पर प्रसिद्ध हो जाने वाले कथन को ‘लोकोक्ति’ कहते हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो जब कोई पूरा कथन किसी प्रसंग विशेष में उद्धत किया जाता है तो लोकोक्ति कहलाता है। Kahawat aur Lokokti

उदाहरण: ‘उस दिन बात-ही-बात में अब्दुल ने कहा, हाँ, मैं अकेला ही कुँआ खोद लूँगा। इन पर सबों ने हँसकर कहा, व्यर्थ बकबक करते हो, अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता’ । यहाँ ‘अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ता’ लोकोक्ति का प्रयोग किया गया है, जिसका अर्थ है ‘एक व्यक्ति के करने से कोई कठिन काम पूरा नहीं होता’ ।

‘लोकोक्ति’ शब्द ‘लोक + उक्ति’ शब्दों से मिलकर बना है जिसका अर्थ है- लोक में प्रचलित उक्ति या कथन’अर्थात लोगों के उद्गार। 

चूँकि लोकोक्ति का जन्म व्यक्ति द्वारा न होकर लोक द्वारा होता है अतः लोकोक्ति के रचनाकार का पता नहीं होता। इसलिए अँग्रेजी में इसकी परिभाषा दी गई है- ‘ A proverb is a saying without an author’ अर्थात लोकोक्ति ऐसी उक्ति है जिसका कोई रचनाकार नहीं होता।

वृहद् हिंदी कोश में लोकोक्ति की परिभाषा इस प्रकार दी गई है-

‘विभिन्न प्रकार के अनुभवों, पौराणिक तथा ऐतिहासिक व्यक्तियों एवं कथाओं, प्राकृतिक नियमों और लोक विश्वासों आदि पर आधारित चुटीली, सारगर्भित, संक्षिप्त, लोकप्रचलित ऐसी उक्तियों को लोकोक्ति कहते हैं, जिनका प्रयोग किसी बात की पुष्टि, विरोध, सीख तथा भविष्य-कथन आदि के लिए किया जाता है।

‘लोकोक्ति’ के लिए यद्यपि सबसे अधिक मान्य पर्याय ‘कहावत’ ही है पर कुछ विद्वानों की राय है कि ‘कहावत’ शब्द ‘कथावृत्त’ शब्द से विकसित हुआ है अर्थात कथा पर आधारित वृत्त, अतः ‘कहावत’ उन्हीं लोकोक्तियों को कहा जाना चाहिए जिनके मूल में कोई कथा रही हो। जैसे ‘नाच न जाने आँगन टेढ़ा’ या ‘अंगूर खट्टे होना’ कथाओं पर आधारित लोकोक्तियाँ हैं। फिर भी आज हिंदी में लोकोक्ति तथा ‘कहावत’ शब्द परस्पर समानार्थी शब्दों के रूप में ही प्रचलित हो गए हैं।  Kahawat aur Lokokti

लोकोक्ति किसी घटना पर आधारित होती है। इसके प्रयोग में कोई परिवर्तन नहीं होता है। ये भाषा के सौन्दर्य में वृद्धि करती है। लोकोक्ति के पीछे कोई कहानी या घटना होती है। उससे निकली बात बाद में लोगों की जुबान पर जब चल निकलती है, तब ‘लोकोक्ति’ हो जाती है।

लोकोक्तियाँ के प्रमुख लक्षण

(1) लोकोक्तियाँ ऐसे कथन या वाक्य हैं जिनके स्वरूप में समय के अंतराल के बाद भी परिवर्तन नहीं होता और न ही लोकोक्ति व्याकरण के नियमों से प्रभावित होती है। अर्थात लिंग, वचन, काल आदि का प्रभाव लोकोक्ति पर नहीं पड़ता। इसके विपरीत मुहावरों की संरचना में परिवर्तन देखे जा सकते हैं। उदाहरण के लिए ‘अपना-सा मुँह लेकर रह जाना’ मुहावरे की संरचना लिंग, वचन आदि व्याकरणिक कोटि से प्रभावित होती है; जैसे-

(i) लड़का अपना सा मुँह लेकर रह गया।
(ii) लड़की अपना-सा मुँह लेकर रह गई।
जबकि लोकोक्ति में ऐसा नहीं होता। उदाहरण के लिए ‘यह मुँह मसूर की दाल’ लोकोक्ति का प्रयोग प्रत्येक स्थिति में यथावत बना रहता है; जैसे-
(iii) है तो चपरासी पर कहता है कि लंबी गाड़ी खरीदूँगा। यह मुँह और मसूर की दाल।

(2) लोकोक्ति एक स्वतः पूर्ण रचना है अतः यह एक पूरे कथन के रूप में सामने आती है। भले ही लोकोक्ति वाक्य संरचना के सभी नियमों को पूरा न करे पर अपने में वह एक पूर्ण उक्ति होती है; जैसे- ‘जाको राखे साइयाँ, मारि सके न कोय’।

(3) लोकोक्ति एक संक्षिप्त रचना है। लोकोक्ति अपने में पूर्ण होने के साथ-साथ संक्षिप्त भी होती है। आप लोकोक्ति में से एक शब्द भी इधर-उधर नहीं कर सकते। इसलिए लोकोक्तियों को विद्वानों ने ‘गागर में सागर’ भरने वाली उक्तियाँ कहा है।

(4) लोकोक्ति सारगर्भित एवं साभिप्राय होती है। इन्हीं गुणों के कारण लोकोक्तियाँ लोक प्रचलित होती हैं। Kahawat aur Lokokti

(5) लोकोक्तियाँ जीवन अनुभवों पर आधारित होती है तथा ये जीवन-अनुभव देश काल की सीमाओं से मुक्त होते हैं। जीवन के जो अनुभव भारतीय समाज में रहने वाले व्यक्ति को होते हैं वे ही अनुभव योरोपीय समाज में रहने वाले व्यक्ति को भी हो सकते हैं। उदाहरण के लिए निम्नलिखित लोकोक्तियों में अनुभूति लगभग समान है-

(i) एक पंथ दो काज- To kill two birds with one stone.
(ii) नया नौ दिन पुराना सौ दिन- Old is gold.

(6) लोकोक्ति का एक और प्रमुख गुण है उनकी सजीवता। इसलिए वे आम आदमी की जुबान पर चढ़ी होती है।

(7) लोकोक्ति जीवन के किसी-न-किसी सत्य को उद्घाटित करती है जिससे समाज का हर व्यक्ति परिचित होता है।

(8) सामाजिक मान्यताओं एवं विश्वासों से जुड़े होने के कारण अधिकांश लोकोक्तियाँ लोकप्रिय होती है।

(9) चुटीलापन भी लोकोक्ति की प्रमुख विशेषता है। उनमें एक पैनापन होता है। इसलिए व्यक्ति अपनी बात की पुष्टि के लिए लोकोक्ति का सहारा लेता है।

संस्कृत में ‘लोकोक्ति’ अलंकार का एक भेद भी है तथा सामान्य अर्थ में लोकोक्ति को ‘कहावत’ कहा जाता है। प्राय: विद्यार्थी कहावत (Saying) और लोकोक्ति (Proverb) को एक ही समझ लेते हैं, जो कि गलत है

कहावत और लोकोक्ति में अंतर (Difference between Sayings & Proverbs)

  • कहावत और लोकोक्ति दोनों ही कही हुई बातें होती हैं लेकिन इन दोनों में अंतर यह है कि जहां कहावत किसी भी व्यक्ति के द्वारा कही हुई होती है वहीं बहुत सी लोकोक्तियां विद्वानों द्वारा कही गई होती हैं.
  • लोकोक्ति सीधे-सीधे शब्दों में हो सकती है या विलक्षण शब्दों में भी. जबकि कहावत अक्सर ही विलक्षण शब्दों में होती है.
  • इस प्रकार हम कह सकते हैं कहावत में विलक्षणता का होना अनिवार्य तत्व माना गया है.

इसे भी पढ़ें: परीक्षोपयोगी महत्वपूर्ण मुहावरे और उनका अर्थ प्रयोग

कहावत के लक्षण

  • कहावत एक वाक्य होता है
  • कहावत का रूप कभी नहीं बदलता है
  • कहावत पीढ़ी-दर-पीढ़ी समाज में अग्रसित होता है
  • कहावत से संबंधित वाक्य की सामान्य अर्थ का भी विशेष महत्व होता है

कहावत की मुख्य विशेषताएं

  • कहावतों की कुछ मुख्य विशेषताएं होती हैं और इन्हीं विशेषताओं के आधार पर इनका प्रयोग किया जाता है:
  • इनमें थोड़े में बहुत कुछ कह दिया जाता है
  • कहावत किसी भाषा के सौंदर्य को निखारती है
  • कहावत का प्रयोग करने से भाषा सहज, सुगम, प्रांजल, प्रभावी, सजीव एवं कलात्मक बनती है
  • कहावतों से पारंपरिक मानवीय ज्ञान के विश्वकोश का निरूपण होता है
  • कहावतों का आधार दृष्टांत, घटना अथवा परिस्थिति होती है Kahawat aur Lokokti

मुहावरा और लोकोक्ति में अंतर

मुहावरेलोकोक्तियाँ
मुहावरे वाक्यांश होते हैं, पूर्ण वाक्य नहीं; जैसे- अपना उल्लू सीधा करना, कलम तोड़ना आदि। जब वाक्य में इनका प्रयोग होता तब ये संरचनागत पूर्णता प्राप्त करती है।लोकोक्तियाँ पूर्ण वाक्य होती हैं। इनमें कुछ घटाया-बढ़ाया नहीं जा सकता। भाषा में प्रयोग की दृष्टि से विद्यमान रहती है; जैसे- चार दिन की चाँदनी फेर अँधेरी रात।
मुहावरा वाक्य का अंश होता है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव नहीं है; उनका प्रयोग वाक्यों के अंतर्गत ही संभव है।      लोकोक्ति एक पूरे वाक्य के रूप में होती है, इसलिए उनका स्वतंत्र प्रयोग संभव है।
मुहावरे शब्दों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।लोकोक्तियाँ वाक्यों के लाक्षणिक या व्यंजनात्मक प्रयोग हैं।
वाक्य में प्रयुक्त होने के बाद मुहावरों के रूप में लिंग, वचन, काल आदि व्याकरणिक कोटियों के कारण परिवर्तन होता है; जैसे- आँखें पथरा जाना। प्रयोग- पति का इंतजार करते-करते माला की आँखें पथरा गयीं।लोकोक्तियों में प्रयोग के बाद में कोई परिवर्तन नहीं होता; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए। प्रयोग- वह अपनी योग्यता की डींगे मारता रहता है जबकि वह कितना योग्य है सब जानते हैं। उसके लिए तो यही कहावत उपयुक्त है कि ‘अधजल गगरी छलकत जाए।  
मुहावरों का अंत प्रायः इनफीनीटिव ‘ना’ युक्त क्रियाओं के साथ होता है; जैसे- हवा हो जाना, होश उड़ जाना, सिर पर चढ़ना, हाथ फैलाना आदि।लोकोक्तियों के लिए यह शर्त जरूरी नहीं है। चूँकि लोकोक्तियाँ स्वतः पूर्ण वाक्य हैं अतः उनका अंत क्रिया के किसी भी रूप से हो सकता है; जैसे- अधजल गगरी छलकत जाए, अंधी पीसे कुत्ता खाए, आ बैल मुझे मार, इस हाथ दे, उस हाथ ले, अकेली मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
मुहावरे किसी स्थिति या क्रिया की ओर संकेत करते हैं; जैसे हाथ मलना, मुँह फुलाना?लोकोक्तियाँ जीवन के भोगे हुए यथार्थ को व्यंजित करती हैं; जैसे- न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी, ओस चाटे से प्यास नहीं बुझती, नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
मुहावरे किसी क्रिया को पूरा करने का काम करते हैं।लोकोक्ति का प्रयोग किसी कथन के खंडन या मंडन में प्रयुक्त किया जाता है।
मुहावरों से निकलने वाला अर्थ लक्ष्यार्थ होता है जो लक्षणा शक्ति से निकलता है।    लोकोक्तियों के अर्थ व्यंजना शक्ति से निकलने के कारण व्यंग्यार्थ के स्तर के होते हैं।  
मुहावरे ‘तर्क’ पर आधारित नहीं होते अतः उनके वाच्यार्थ या मुख्यार्थ को स्वीकार नहीं किया जा सकता; जैसे- ओखली में सिर देना, घाव पर नमक छिड़कना, छाती पर मूँग दलना।लोकोक्तियाँ प्रायः तर्कपूर्ण उक्तियाँ होती हैं। कुछ लोकोक्तियाँ तर्कशून्य भी हो सकती हैं; जैसे- तर्कपूर्ण : (i) काठ की हाँडी बार-बार नहीं चढ़ती। (ii) एक हाथ से ताली नहीं बजती। (iii) आम के आम गुठलियों के दाम। तर्कशून्य : (i) छछूंदर के सिर में चमेली का तेल।  
मुहावरे अतिशय पूर्ण नहीं होते।लोकोक्तियाँ अतिशयोक्तियाँ बन जाती हैं।

Kahawat aur Lokokti

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