Characteristics of Creativity Hindi (सृजनात्मकता की विशेषताएं)

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Characteristics of Creativity Hindi

Characteristics of Creativity in Hindi/ सृजनात्मकता की विशेषताएं

बालकों में पायी जाने वाली सृजनात्मकता की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं:

1. सृजनात्मकता जन्मजात ना होकर अर्जित की जाती है। सृजनात्मकता प्राचीन अनुभव पर आधारित नवीन संबंधों की रूपरेखा तथा नूतन साहचर्यों का संबोध कही जा सकती है।

2. सृजनात्मकता के स्वरूप तथा विशेषताओं को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है:

3. सभी व्यक्तियों में विभिन्न प्रकार की तथा विभिन्न श्रेणी के सृजनात्मकता पाई जाती हैं।

4. सृजनात्मकता केवल कुछ चुने हुए व्यक्तियों तक ही सीमित नहीं रहती बल्कि यह सभी व्यक्तियों का सामान्य गुण है।

5. सृजनात्मकता एक जटिल प्रक्रिया है जिसे समय, स्थान, तथा व्यक्ति से बांधा नहीं जा सकता। इसका प्रादुर्भाव कहीं भी और किसी भी समय पर हो सकता है। बालकों, बड़ों, पुरुषों तथा स्त्रियों सभी में सृजनात्मकता पाई जा सकती है।

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6. सृजनात्मकता में विभिन्न शील गुण पाए जाते हैं। इसकी सर्वाधिक मान्य कुछ विशेषताएं होती हैं। जैसे- निरंतरता, नमनीयता विस्तारता, मौलिकता, समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता, एवं निर्णय लेने की शैली आदि।

7. बुद्धि में निहित योग्यताओं से सृजनात्मक चिंतन में निहित योग्यताएं भिन्न होती हैं।

8. सृजनात्मकता अपसारी चिंतन पर आधारित होती है जबकि बुद्धि में अभिसारी चिंतन का प्रयोग अधिक होता है। यह आवश्यक नहीं है कि सभी बुद्धिमान व्यक्ति सृजनात्मक भी हों।

9. सृजनात्मकता का प्रादुर्भाव अचानक नहीं होता, यद्यपि सृजनात्मक विचार अचानक ही बिजली की भांति प्रकट होते दिखाई देते हैं। सृजनात्मकता का उदय उसी भांति क्रमिक होता है जैसे दिन का निकलना।

10. जीवन के आरंभ से सृजनात्मकता का प्रादुर्भाव होता है और इसका विकास सामाजिक पर्यावरण पर बहुत कुछ निर्भर करता है।

11. सृजनात्मकता संबंधी योग्यताओं का विकास अन्य योग्यताओं के विकास से भिन्न होता है। इनके विकास की गति एक सी नहीं रहती।

12. सृजनात्मकता को मापा जा सकता है किंतु इस परीक्षा के द्वारा सभी प्रकार के सृजनात्मकता को मापना संभव नहीं है।

13. सृजनात्मकता का विकास जीवन के विभिन्न पहलुओं से संबंधित है। इसके लिए किसी विशेष व्यक्ति या विशेष विधि का होना आवश्यक नहीं है।

14. सृजनशील व्यक्तियों में प्रवाहता (फ्लुएंसी) होती है। वे अपने विचारों को प्रवाहता के साथ प्रदर्शित कर सकते हैं।

15. सृजनात्मकता एक प्रक्रिया या योग्यता है, यह उत्पादन प्रोडक्ट नहीं है।

16. सृजनात्मकता की प्रक्रिया लक्ष्य निर्देशित होती है। यह या तो व्यक्ति के लिए लाभदायक होती है या समूह या समाज के लिए लाभदायक होती है।

17. सृजनात्मकता चाहे मौखिक हो या लिखित चाहे मूर्त हो या अमूर्त, प्रत्येक अवस्था में व्यक्ति के लिए यह अभूतपूर्व होती है। यह किसी नए और भिन्न उत्पादन का मार्ग निर्देशित करती है।

18. सृजनात्मकता एक प्रकार की नियंत्रित कल्पना है, जिससे किसी ना किसी उपलब्धि को निर्देशित किया जाता है।

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सृजनात्मकता और बुद्धि में संबंध (Relationship  between Intelligence and Creativity)

गिलफोर्ड का प्रज्ञा-गणन एवं सृजनशीलता

प्रज्ञा के गणन के लिए गिलफोर्ड और उनके साथियों द्वारा किए गए शोध कार्यों ने दो पृथक चिंतन धाराओं को जन्म दिया।

  • अभिसारी चिंतन
  • अपसारी चिंतन

1. पहले चिंतन धारा में केवल एक पूर्व निर्धारित सही उत्तर निहित होता है, जबकि दूसरे चिंतन धारा के फल स्वरुप विविध उत्तरों का जन्म होता है, जिनमें प्रवाह, नमनीयता, मौलिकता तथा विस्तरण क्रियाशीलता होती है।

2. अभिसारी चिंतन को बुद्धि के साथ जोड़ा जाता है तथा अपसारी चिंतन व्यक्त की सृजनशीलता की ओर संकेत करता है।

3. अधिकतर मनोवैज्ञानिक इस बात से सहमत हैं कि सृजनशीलता और बुद्धि के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध होता है। सृजनशील व्यक्ति बुद्धिमान प्रतीत होता है। बुद्धि और सृजनशीलता के संबंध के बारे में सामान्य निष्कर्ष यह कहते हैं कि सृजनात्मक होने  का कारण बुद्धि का निश्चित अनिवार्य स्तर है। निश्चित स्तर से अधिक या कम बुद्धिमान होने से व्यक्ति की सृजनशीलता के स्तर पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

4. सृजनशीलता के लिए अपेक्षित बुद्धिमानी का स्तर प्रत्येक क्षेत्र में अलग-अलग होता है। कभी-कभी आश्चर्यजनक रूप से ऐसा भी देखने में आता है कि किसी क्षेत्र में सृजनशीलता के लिए बुद्धिमानी का स्तर बहुत कम होता है।

5. बुद्धि परीक्षण द्वारा मापे गए बुद्धि स्तर से भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि सृजनात्मक व्यक्ति जितनी भी बुद्धि उसके पास है उसका कितना प्रभावशाली ढंग से प्रयोग करता है। प्राय: देखा गया है कि कुछ व्यक्तियों में उच्च सृजनात्मकता होती है परंतु उनका बौद्धिक स्तर निम्न होता है। इसी प्रकार से यह भी आवश्यक नहीं है कि जिन व्यक्तियों का बौद्धिक स्तर उच्च है उनमें सृजनात्मकता भी उच्च स्तर की होगी।

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6. उच्च बौद्धिक स्तर और उच्च सृजनात्मकता का साथ-साथ चलना वाह्य कारकों पर भी निर्भर करता है।

7. सृजनात्मकता शून्य में क्रियाशील नहीं हो सकती। इसमें पूर्व अर्जित ज्ञान का उपयोग होता है। इस ज्ञान का उपयोग बौद्धिक क्षमताओं से संबंधित है। अतः सृजनात्मकता और बुद्धि का समन्वय स्वभाविक है।

8. आज भी इन प्रश्नों पर सबसे ज्यादा रिसर्च होते हैं: पहला प्रश्न है, क्या सृजनात्मक व्यक्ति के लिए तीव्र बुद्धि आवश्यक है? क्या तीव्र बुद्धि वाले सभी व्यक्ति सृजनात्मक होते हैं?

भारत तथा भारत से बाहर भी बहुत बड़ी संख्या में इस दिशा में शोध कार्य हो रहे हैं किंतु अब तक कोई निश्चित परिणाम नहीं मिल सका है। कुछ शोध कार्यों से बुद्धि तथा सृजनात्मकता के बीच उच्च धनात्मक सहसंबंध (high positive correlation) और कुछ अध्ययनों से शून्य सहसंबंध (zero correlation) का पता चलता है। यह आवश्यक नहीं है कि जो छात्र अधिक बुद्धि लब्धि रखता है उसमें अधिक सृजनात्मकता भी होगी।

अत: सृजनात्मकता का तात्पर्य नई वस्तु की रचना करने की योग्यता से है। इसका अर्थ नए उपागम द्वारा समस्या को हल करने की योग्यता है। यदि कोई व्यक्ति नई वस्तु का निर्माण करता है, नई खोज करता है, समस्या समाधान का नया तरीका निकालता है, तो कहा जाएगा कि वह आदमी सृजनात्मक है।

चैप्लिन के अनुसार- “सृजनात्मकता का तात्पर्य कला या यंत्र विज्ञान में नई आकृतियों को उत्पन्न करने अथवा नवीन उपागमयों द्वारा समस्याओं को हल करने की योग्यता से है”

“Creativity is the ability to produce new forms in art or mechanics of solve problems by new methods.”

सृजनात्मक व्यक्ति की एक बड़ी विशेषता बुद्धि है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि सृजनात्मकता या रचनात्मक कार्य करने के लिए बुद्धि की आवश्यकता पड़ती है परंतु सृजनात्मकता के लिए उच्च बुद्धि की कोई आवश्यकता नहीं है।

गेटजेल्स तथा जैकसन ने प्रचलित बुद्धि परीक्षाओं तथा सृजनात्मकता की परीक्षाओं के बीच संबंध जानने का प्रयास किया। शिकागो स्थित एक विद्यालय के कुछ छात्रों को दो समूहों में बांटा गया। एक समूह में उच्च सृजनात्मकता वाले किंतु निम्न बुद्धि लब्धि वाले छात्रों को रखा गया तथा दूसरे समूह में उच्च बुद्धि लब्धि तथा निम्न सृजनात्मकता वाले छात्र रखे गए।

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इन दोनों समूहों के छात्रों की विद्यालयी उपलब्धि तथा व्यक्तित्व गुणशील के क्षेत्र में परीक्षा ली गई। निष्कर्ष यह निकला कि उच्च बुद्धि लब्धि वाले छात्रों का समूह जिनकी सामान्य बुद्धि लब्धि 132 थी विद्यालय उपलब्धि की परीक्षा लेने पर दूसरे समूह से अधिक अच्छे नहीं पाए गए। इन छात्रों की बौद्धिक योग्यता तथा रचनात्मक योग्यता के बीच 0.11: 0.49 का सहसंबंध पाया गया। इससे यह भी पता चला कि लगभग 120 बुद्धि लब्धि से अधिक बौद्धिक योग्यता होने से उनकी सृजनात्मकता के ऊपर कोई फर्क नहीं पड़ता।

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