Buddhi Intelligence बुद्धि का अर्थ और परिभाषा, बुद्धि परीक्षण, बुद्धि के सिद्धांत

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Buddhi Intelligence

बुद्धि क्या है? (What is Intelligence in Hindi?)

Buddhi Intelligence

बुद्धि का अर्थ और परिभाषा (Intelligence Meaning and Definition)

बुद्धि/ Buddhi, (Intelligence ) एक मानसिक शक्ति है जो वस्तुओं एवं तथ्यों को समझने, उनमें आपसी सम्बन्ध खोजने तथा तर्कपूर्ण ज्ञान प्राप्त करने में सहायक होती है। बुद्धि एक प्रकार की सामान्य योग्यता है जिसके द्वारा व्यक्ति विभिन्न परिस्थितियों को समझता है और उनके अनुसार अपने व्यवहार में यथोचित परिवर्तन करता है। Buddhi Intelligence

बुद्धि का उपयोग करके ही कोई व्यक्ति अपनी समस्याओं को सुलझा कर व्यवहारिक जीवन में सफलता प्राप्त करता है। बुद्धि ‘भावना’ और अन्तःप्रज्ञा (Intuition / इंट्युसन) से बिल्कुल अलग होती है। बुद्धि ही मनुष्य को नवीन परिस्थितियों को ठीक से समझने और उसके साथ अनुकूलित (adapt) होने में सहायता करती है। 

बुद्धि तार्किक चिंतन है

बुद्धि Buddhi, (Intelligence) बिजली के समान है, जिसे परिभाषित करना कठिन है परन्तु मापना सम्भव तथा आसान है.

नोट: बुद्धि Buddhi, (Intelligence) को ऐसे समझा जा सकता है कि मान लीजिये कई व्यक्तिओं के पास एक ख़ास सूचना का भंडार है लेकिन वो उसका प्रसंस्करण कैसे करते हैं वो उनकी बुद्धि पर निर्भर करता है. इसलिए बुद्धि को ‘सूचना के प्रसंस्करण की योग्यता’ की तरह भी समझा जा सकता है।

बुद्धि की महत्ता (Importance of Intelligence)

बुद्धि Buddhi, (Intelligence) की महत्ता प्राचीन काल से ही चर्चा का विषय रही है. कहा जाता है कि, ‘बुद्धिर्यस्य बलंतस्य’ अर्थात जिसमें बुद्धि है वही बलवान है। बुद्धि के कारण ही मनुष्य को अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना जाता है।

मनोविज्ञान के क्षेत्र में भी बुद्धि Buddhi, (Intelligence) का बहुत महत्व है। हजारों वर्ष पूर्व से ही व्यक्तियों को बुद्धि के आधार पर अलग-अलग वर्गों में बांटा गया। कुछ व्यक्ति बुद्धिमान कहलाते हैं, कुछ कम बुद्धि के, कुछ मूढ बुद्धि के तो कुछ जड़ बुद्धि कहलाते हैं। परन्तु बुद्धि के स्वरूप को समझना बड़ा कठिन है।

बुद्धि का स्वरूप

प्राचीन काल से ही बुद्धि Buddhi, (Intelligence) के स्वरूप पर विद्वानों में मतभेद रहे हैं. आज भी मनोवैज्ञानिकों तथा शिक्षाविदों के लिए बुद्धि वाद-विवाद का विषय बना हुआ है। 19वीं सदी के उत्तरार्द्ध से मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप को समझने के प्रयास प्रारम्भ किए परन्तु वे भी इसमें सफल नहीं हुए तथा बुद्धि की सर्वसम्मत परिभाषा न दे सके। वर्तमान में भी बुद्धि के स्वरूप के सम्बंध में मनोवैज्ञानिकों के विचारों में असमानता है। अलग-अलग मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि के स्वरूप को अलग-अलग ढंग से पारिभाषित किया है।

बुद्धि की परिभाषा (Definition of Intelligence)

मनोवैज्ञानिकों ने बुद्धि Buddhi, (Intelligence) की परिभाषाओं को तीन वर्गों में रखा है-

  1. बुद्धि सामान्य योग्यता है।
  2. बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है।
  3. बुद्धि समस्त विशिष्ट योग्यताओं का योग है।

1. बुद्धि सामान्य योग्यता है

बुद्धि को सामान्य योग्यता मानने वाले मनोवैज्ञानिको में टर्मन, एम्बिगास, स्टाऊट, बर्ट, गॉल्टन, स्टर्न आदि हैं। इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बुद्धि व्यक्ति की सामान्य योग्यता है, जो उसकी हर क्रिया में पायी जाती है। इन मनोवैज्ञानिकों के अनुसार बुद्धि की परिभाषा इस प्रकार है-

टर्मन (Termn) के अनुसार- अमूर्त वस्तुओं के सम्बंध में विचार करने की योग्यता ही बुद्धि है।

(Intelligence is the ability to carry out abstract thinking)

अतः टर्मन के अनुसार बुद्धि समस्या को हल करने की योग्यता है।

एबिंगास (Ebbinghous) के अनुसार बुद्धि विभिन्न भागों को मिलाने की शक्ति है।

(Intelligence is the power of combining parts.)

गाल्टन (Galton) के अनुसार बुद्धि विभेद करने एवं चयन करने की शक्ति है।

(Intelligence is the power of discrimination and selection.)

स्टर्न (Stern) के मतानुसार नवीन परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की योग्यता ही बुद्धि है।

(Intelligence is the ability to adjust oneself to a new situation.)

वुडवर्थ के अनुसार- बुद्धि कार्य की एक विधि है.

स्पीयरमैन के अनुसार- व्यक्ति की सामान्य योग्यता का नाम बुद्धि है.

बकिंघम के अनुसार- सीखने की योग्यता बुद्धि है.

बर्ट के अनुसार- बुद्धि अच्छी तरह निर्णय करने एवं तर्क करने की योग्यता है.

2. बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है।

बुद्धि दो या तीन योग्यताओं का योग है इस विचारधारा को मानने वालों में स्टेनफोर्ड बिने का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

बिने (Binet) के अनुसार- बुद्धि तर्क, निर्णय एवं आत्म आलोचन की योग्यता एवं क्षमता है।

(Intelligence is the ability and capacity to reason well to judge well and to be self-critical.)

बुद्धि के प्रकार (Types of Intelligence)

थार्नडाइक ने बुद्धि Buddhi, (Intelligence) को तीन प्रकार का बताया है:

  • मूर्त बुद्धि या यांत्रिक बुद्धि- यह बुद्धि मशीनों एवं यंत्रों से अनुकूलन करने में सहायता देती है. इस बुद्धि के लोग अच्छे कारीगर, इंजीनियर, व्यापारी आदि बनते हैं.
  • अमूर्त बुद्धि- इस बुद्धि की आवश्यकता लिखने, पढ़ने, समझने, तार्किक चिंतन करने में  पड़ती है. इस बुद्धि वाला व्यक्ति अच्छा डॉक्टर, लेखक, चित्रकार, मनोवैज्ञानिक पत्रकार, स्तंभकार इत्यादि बनता है.
  • सामाजिक बुद्धि- इस बुद्धि से तात्पर्य व्यक्तियों को समझने और व्यवहार करने की योग्यता से है. यह समाज समायोजित करने की बुद्धि कहलाती है. किस बुद्धि वाला व्यक्ति अच्छा राजनेता, समाज सुधारक, समाजसेवी इत्यादि बनता है.

3. बुद्धि समस्त विशिष्ट योग्यताओं का योग है।

बुद्धि Buddhi, (Intelligence) की इस विचारधारा को मानने वाले मनोवैज्ञानिकों ने विभिन्न प्रकार की विशिष्ट योग्यताओं के योग को बुद्धि की संज्ञा दी है।

इन विचारों को मानने वालों में थार्नडाइक, थर्स्टन, थॉमसन, वेस्लर तथा स्टोडार्ड प्रमुख हैं।

थार्नडाइक (Thorndike) के अनुसार, उत्तम क्रिया करने तथा नई परिस्थितियों के साथ समायोजन करने की योग्यता को बुद्धि कहते हैं

(Intelligence is the ability to make good responses and is demonstrated by the capacity to deal affectivity with new situations.)

स्टोडार्ड (Stoddard) के अनुसार- बुद्धि

(i) कठिनता

(ii) जटिलता

(iii) अमूर्तता

(iv) आर्थिकता

(v) उद्देश्य प्राप्यता

(vi) सामाजिक मूल्य तथा

(vii) मौलिकता

से सम्बंधित समस्याओं को समझने की योग्यता है।

(Intelligence is the ability to understand problems that are characterised by (a) difficulty (b) complexity (c) abstractness (d) economy (e) adaptations to a goal (f) social value and (g) commergence of originals under such conditions that demand a concentration of energy and resistance to emotional forces.)

इसे भी पढ़िए: बाल विकास की अवस्थाएं

बुद्धि के सिद्धांत

बुद्धि के निम्नलिखित सिद्धांत हैं:

  • एक कारक सिद्धांत- बिने
  • द्विकारक/ त्रिकारक सिद्धांत –  स्पीयर्समैन
  • बहुकारक सिद्धांत –  थार्नडाइक
  • समूहकारक सिद्धांत – थर्स्टन
  • बुद्धि संरचना सिद्धांत-  गिलफोर्ड
  • बहुबुद्धि सिद्धांत-  गार्डनर
  • पदानुक्रमिक सिद्धांत – बर्ट एवं बर्नन
  • त्रिस्तरीय/ त्रितंत्र/ त्रिचापित सिद्धांत – स्टर्नबर्ग
  • प्रतिदर्श सिद्धांत – थॉमसन
  • बुद्धि का लेवल-1 तथा लेवल-2 का सिद्धांत-  हैव
  • तरल ठोस/  द्रव घनीभूत  सिद्धांत-  आर. बी.  कैटल

एक कारक सिद्धांत

  • इस सिद्धांत का प्रतिपादक अल्फ्रेड बिने है.

द्विकारक या त्रिकारक सिद्धांत/ द्वितत्व सिद्धांत/ त्रितत्व सिद्धांत

  • इस सिद्धांत का प्रतिपादक स्पीयर्समैन है.
  • इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि दो कारकों से बनी है: सामान्य कारक और विशिष्ट कारक

सामान्य कारक/ जनरल फैक्टर/ जी फैक्टर या जी कारक

  • स्पीयर्समैन ने बताया है कि सामान्य कारक सभी व्यक्तियों में जन्मजात होता है. यह सदैव एक समान रहता है.
  • सभी मानसिक कार्यों एवं समस्याओं के समाधान में सामान्य कारक प्रयोग होता है.

विशिष्ट कारक/ स्पेसिफिक फैक्टर

  • यह जन्मजात नहीं होता है बल्कि अर्जित योग्यता है.
  • इसे सामान्य कारक के द्वारा ही अर्जित किया जा सकता है जिसके बाद व्यक्ति किसी विशेष कार्य में दक्ष होकर सफल बन जाता है. जैसे- संगीत गायन कला गणित हस्तकला इत्यादि.

नोट: बाद में स्पीयर्समैन ने एक और समूह तत्व जोड़ दिया जिसके बाद इस सिद्धांत को त्रिकारक सिद्धांत भी कहा जाता है.

बहुकारक सिद्धांत

  • इस सिद्धांत का प्रतिपादक थार्नडाइक है.
  • इसे बहुतत्व का सिद्धांत भी कहा जाता है.
  • बुद्धि की ऊंचाई- स्तर- कार्यों में कठिनता
  • बुद्धि की चौड़ाई- क्षेत्र- कार्यों की विभिन्नता
  • बुद्धि का क्षेत्रफल- क्षेत्र- कार्यों की संख्या
  • बुद्धि की गति- गति- कार्य करने की गति

नोट: थार्नडाइक ने अपने सिद्धांत की तुलना बालू के ढेर से करते हुए ऊंचाई, चौड़ाई, क्षेत्र, गति की चर्चा की है इसलिए इसे बालू का सिद्धांत भी कहते हैं.

समूह कारक सिद्धांत

  • इस सिद्धांत का प्रतिपादक थर्स्टन है.
  • इसे प्राथमिक मानसिक योग्यता का सिद्धांत भी कहते हैं.
  • इस सिद्धांत के अनुसार, बुद्धि प्राथमिक कारक समूहों से मिलकर बनी है.
  • एक जैसे कार्य करने वाले कारक मिलकर कारकों का एक प्राथमिक समूह बना लेते हैं.

थर्सटन ने बताया कि ऐसे कुल 13 प्राथमिक समूह कारक बनते हैं. इसमें 7 सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण कारक है:

  • आंकिक कारक
  • शाब्दिक कारक
  • स्मृति कारक
  • तार्किक कारक
  • वाक कारक
  • प्रेक्षण तत्व कारक
  • पर्यवेक्षण कारक

बुद्धि संरचना मॉडल

  • गिल्फोर्ड ने सन 1967 में डिब्बे के आकार का एक मॉडल प्रस्तुत किया जिसे बुद्धि संरचना मॉडल कहते हैं. गिल्फोर्ड ने अपने इस सिद्धांत में बुद्धि के 3 पद बताए थे: संक्रिया, विषय वस्तु, उत्पाद

संक्रिया: समस्या की सामग्री जैसे संज्ञान स्मरण चिंतन परंपरागत गैर परंपरागत मूल्यांकन

विषय वस्तु: समस्या समाधान की प्रक्रिया, आकृतिक शाब्दिक सांकेतिक व्यवहार.

उत्पाद: समस्या समाधान का वास्तविक परिणाम, इकाई, वर्ण, संबंध, प्रणाली प्रत्यावर्तन निहितार्थ.

बहुबुद्धि का सिद्धांत

बहुबुद्धि का सिद्धांत गार्डनर ने दिया था. इस सिद्धांत के अनुसार बुद्धि को एक तत्व नहीं बल्कि कई भिन्न-भिन्न प्रकार के बुद्दियों का अस्तित्व होता है एक दूसरे से स्वतंत्र रहकर कार्य करते हैं. जो बुद्धि जिस व्यक्ति में ज्यादा होती है, वह व्यक्ति उस क्षेत्र में ज्यादा सफल होता है. गार्डनर ने अपने अध्ययन के फलस्वरूप ऐसी 8 बुद्धियों का वर्णन किया है जो निम्न प्रकार हैं:

  • भाषागत बुद्धि: अपने विचार को व्यक्त करना तथा एक दूसरे के विचारों को समझना.
  • तार्किक गणितीय: इस बुद्धि का प्रयोग वैज्ञानिक चिंतन, समस्या समाधान तथा आलोचनात्मक चिंतन में होता है.
  • दैशिक बुद्धि: इस बुद्धि का प्रयोग मानसिक प्रतिबिंब को तैयार करने में होता है.
  • सांवेगिक बुद्धि: इस बुद्धि का प्रयोग संवेगों को समझने के लिए होता है.
  • शारीरिक गति संवेदीय बुद्धि: शरीर के अंगो का उपयोग तथा सृजनशीलता में कार्य करने वाली बुद्धि.
  • उत्तर वैयक्तिक बुद्धि: दूसरे देश के व्यवहारों को समझना.
  • अंतर वैयक्तिक बुद्धि: दूसरे व्यक्ति के व्यवहार को समझना.
  • अंतः वैयक्तिक बुद्धि: अपनी भावनाओं तथा इच्छाओं पर नियंत्रण करने वाली बुद्धि.
  • प्रकृतिवादी बुद्धि: सूक्ष्मजीवों, पेड़ पौधों तथा प्राकृतिक सौंदर्य को सराहने वाली बुद्धि.

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