Apathit Hindi Gadyansh-5 (अपठित हिंदी गद्यांश-5)

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Apathit Hindi Gadyansh-5

Apathit Hindi Gadyansh-5 / परीक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण अपठित हिंदी गद्यांश-5

भारत में जाति व्यवस्था की जड़ें बहुत गहरी हैं। इतिहास में कभी एक समय ऐसा आया होगा जब जाति व्यवस्था ने जन्म लेकर समाज को एक गतिमान स्वरूप प्रदान करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी। जातियों का निर्माण एक दिन में नहीं हुआ होगा। ना जाने कितने समय तक संघर्ष करने के बाद विचारकों ने इसे जन्म दिया होगा, किंतु आज यह व्यवस्था राष्ट्र के लिए भार बन गई है। यह राष्ट्र विकास के पथ में विषबेल की तरह बिछी हुई है। पूरा देश जातीय संघर्ष की आग में झुलस रहा है। भ्रष्ट और सत्तालोलुप राजनीति में लिप्त लोगों ने जर्जर होती दीवारों में सीमेंट लगाने का काम किया है, वरना तो स्वाधीनता की लड़ाई में जातिभेद ही नहीं सांप्रदायिक भेदभाव भी अपने कटु स्वरूप को मिटा चुका था। आज भारतीय समाज जातियों के कटघरों में कैद है। हर जाति में आने जातियों पर शासन करने की तथा उन्हें नीचा दिखाने की प्रवृत्ति उग्र रूप धारण कर चुकी है। जीवन का कोई ऐसा क्षेत्र अछूता नहीं बचा है, जहाँ जाति भेद दिखाई ना देता हो। कुछ इने-गिने मनीषी और विचारक अवश्य चिंतित हैं, लेकिन उनकी सुनता कौन है? वोट की राजनीति ने ऐसा विकराल रूप धारण कर लिया है कि जातिभेद का विरोध करने वाले किसी कोने में पड़े राष्ट्र की दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं।

प्रकृति ने भारत को एक ऐसी सुरक्षा रेखा में बाँध रखा है कि वह अखण्ड बना हुआ है, नहीं तो इस जाति भेद ने पूरे समाज को अनेक खंडों में विभक्त कर दिया है। धर्म और शिक्षा जैसे पावन क्षेत्रों तक जातिभेद ने अपने पांव पसार लिए हैं उसे राजनीति का संबल जो प्राप्त हो गया है। आज अगर राजनीति के जातिगत आधार को तोड़ दिया जाए तो जातिभेद को नष्ट करने में सहायता मिल सकती है। Apathit Hindi Gadyansh-5

इसे भी पढ़िए: अपठित गद्यांश के प्रश्नों को हल करते समय ध्यान देने योग्य बातें

उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्न

प्रश्न 1: राजनीत से जातिवाद को बाहर कर दिया जाए तो जाति भेद पर क्या असर होगा?
प्रश्न 2: देश पर जातिवाद का क्या प्रभाव पड़ रहा है?
प्रश्न 3: स्वाधीनता संघर्ष के समय जातिभेद की क्या स्थिति थी?
प्रश्न 4: सांप्रदायिक शब्द में प्रयुक्त उपसर्ग व प्रत्यय को छाँटिए?
प्रश्न 5: प्रस्तुत गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।

उपर्युक्त गद्यांश से सम्बन्धित प्रश्नों के उत्तर

उत्तर 1: राजनीति और जातिवाद को बाहर करने से जातिभेद की समस्या से बहुत हद तक छुटकारा मिल सकते है।
उत्तर 2: जातिवाद के कारण देश में सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिला है।
उत्तर 3: स्वाधीनता संघर्ष में जाति भेद और सांप्रदायिक कटुभाव दोनों ही अपना अस्तित्व खो चुके थे।
उत्तर 4: सांप्रदायिक शब्द में सम उपसर्ग तथा इक प्रत्यय है।
उत्तर 5: उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक “जातिवाद विकास के लिए घातक है” हो सकता है।

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