Srijanatmakta Creativity in Hindi (सृजनात्मकता का अर्थ, परिभाषा, विशेषताएं)

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Srijanatmakta Creativity in Hindi

Srijanatmakta Creativity in Hindi/ सृजनात्मकता का अर्थ, उसकी परिभाषा तथा सृजनात्मक बालकों की विशेषताएं

सृजनात्मकता एक ऐसी स्थिति है जिसमें मनुष्य के मस्तिष्क में कुछ विशेष विचार आते हैं जिसके आधार पर वह कुछ नया सृजन करता है। सामान्य रूप से जब हम किसी वस्तु या घटना के बारे में विचार करते हैं तो हमारे मस्तिष्क में अनेक प्रकार के विचारों का सृजन होता है। इन उत्पन्न विचारों को जब हम व्यवहारिक रूप प्रदान करते हैं तो उसके पक्ष एवं विपक्ष, लाभ एवं हानियां, हमारे समक्ष आती हैं। इस स्थिति में हम अपने विचारों की सार्थकता और निरर्थकता को पहचानते हैं तथा सार्थक विचारों को व्यवहार में प्रयोग करते हैं। इस प्रकार की स्थिति सृजनात्मक चिंतन कहलाती है।

सृजनात्मकता या सृजनात्मक चिंतन को इस उदाहरण द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है। जेम्स वाट एक वैज्ञानिक था। उसने रसोई घर से आने वाली आवाज को सुना तथा जाकर देखा कि चाय की केतली का ढक्कन बार-बार उठ रहा है तथा गिर रहा है। एक सामान्य व्यक्ति के लिए यह एक सामान्य घटना थी लेकिन एक सृजनात्मक व्यक्ति के लिए यह एक सृजनात्मक चिंतन का विषय था। Srijanatmakta Creativity in Hindi

यहां से सृजनात्मक चिंतन की प्रक्रिया प्रारंभ होती है। जेम्स वाट सोचता है कि भाप में शक्ति है। इसके लिए वो केतली के ढक्कन पर पत्थर रख देता है तथा उसकी शक्ति का परीक्षण करता है। इसके बाद भी वो देखता है कि भाप उस पत्थर को भी उठा दे रहा है। अतः इसका उपयोग वह दैनिक जीवन में करने पर विचार करता है तथा भाप के इंजन का निर्माण करने में सफलता प्राप्त करता है।

इस प्रकार की स्थिति में सृजनात्मक चिंतन का मार्ग प्रशस्त होता है। सृजनात्मक चिंतन की विभिन्न विद्वानों द्वारा निम्नलिखित परिभाषाएं दी गई हैं।

सृजनात्मक चिंतन की परिभाषाएं (Definition of Creative thinking)

प्रोफेसर एसके दुबे के शब्दों में- “सृजनात्मक चिंतन का आशय उन कार्यों से है जिनके माध्यम से नवीन विचारों वस्तुओं तथा व्यवस्थाओं का सृजन संभव होता है।”

श्रीमती आरके शर्मा के अनुसार- “रचनात्मक चिंतन का आशय मस्तिष्क उद्वेलन की उस प्रक्रिया से है जिसमें किसी एक विषय पर अनेक प्रकार के विचार उत्पन्न होते हैं। उन विचारों के आधार पर नवीन एवं उपयोगी वस्तुओं तथा विचारों का सृजन होता है।”

उपरोक्त विवेचन से यह स्पष्ट होता है कि सृजनात्मक चिंतन का आधार नवीन विचारों एवं उपयोगी वस्तुओं का सृजन करना है।

इसका संबंध भौतिक जगत से होता है। इसमें विचारक किसी विचार का उपयोग भौतिक जगत की सुख सुविधाओं के लिए करता है। इस प्रकार सृजनात्मक चिंतन मानसिक प्रक्रिया के साथ-साथ कौशलात्मक प्रक्रिया से भी संबंधित होता है। Srijanatmakta Creativity in Hindi

सृजनात्मक व्यक्ति की विशेषताएं (Characteristics of a Creative person)

किसी भी सृजनात्मक या रचनात्मक व्यक्ति की पहचान उसके गुण, कार्य, एवं व्यवहार के आधार पर की जाती है। सृजनात्मक बालक विभिन्न प्रकारों में सामान्य बालकों से भिन्न होते हैं। इसी प्रकार ऐसे अनेक कार्य होते हैं जो कि सामान्य बालक एवं सृजनात्मक बालक में अंतर स्पष्ट करते हैं।

सृजनात्मक बालकों एवं व्यक्तियों की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

  • सृजनात्मक बालक जिज्ञासु होता है (Creative person become curious)
  • सृजनात्मक व्यक्ति चुनौतियां पसंद करते हैं (Creative person like challenges)
  • सृजनात्मक व्यक्ति प्रयोग से भयभीत नहीं होते हैं (Creative person do not afraid to experiments)
  • सृजनात्मक व्यक्तियों की मानसिक क्षमता उच्च स्तर की होती है (Creative person have high mental level)
  • आलोचनात्मक चिंतन एवं सृजन में विश्वास (Believe in critical thinking and creation)
  • विश्लेषण एवं संश्लेषण की योग्यता (Ability Of analysis and Synthesis)
  • मस्तिष्क उद्वेलन की स्थिति (Situation of brain  storming)
  • अनुसंधान की प्रवृत्ति (Tendency of research)
  • प्रामाणिक तथ्यों का संकलन (Collection of standard factors)
  • वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific view)

1. सृजनात्मक बालक जिज्ञासु होता है (Creative person become curious)

सृजनात्मक व्यक्ति पूर्णत: जिज्ञासा से परिपूर्ण माना जाता है। वह प्रत्येक विचार या घटना के बारे में विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछता है तथा जब तक उसकी जिज्ञासा शांत नहीं होती वह ज्ञान प्राप्त करने के लिए व्याकुल रहता है। प्रत्येक घटना के संदर्भ में वह सकारात्मक एवं विश्लेषणात्मक रूप से अध्ययन करने का प्रयास करता है जिससे वह घटना के मूल तत्व एवं कारण तक पहुंच सके।

2. सृजनात्मक व्यक्ति चुनौतियां पसंद करते हैं (Creative person like challenges)

सृजनात्मक व्यक्ति कभी भी चुनौतियों से नहीं डरता है वह प्रत्येक चुनौती का साहस से सामना करता है तथा परिस्थितियों को अपने अनुकूल बनाने का प्रयास करता है। प्रत्येक समस्या का समाधान अपनी क्षमता एवं योग्यता के आधार पर करता है इसलिए आत्मविश्वास से परिपूर्ण होता है। Srijanatmakta Creativity in Hindi

3. सृजनात्मक व्यक्ति प्रयोग से भयभीत नहीं होते हैं (Creative person do not afraid to experiments)

सृजनात्मक व्यक्ति को किसी भी सार्थक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए अनेक प्रकार के प्रयोग करने पड़ते हैं। यह प्रयोग प्रयोगशाला के अतिरिक्त समाज में भी करने पड़ते हैं। अनेक स्थितियों में प्रयोगों के नकारात्मक परिणाम भी निकलते हैं परंतु सृजनात्मक व्यक्ति उन नकारात्मक परिणामों से भयभीत नहीं होता तथा निरंतर रूप से कार्य करता रहता है। उसके प्रयोगों की निरंतरता उस समय तक बनी रहती है जब तक कि वह किसी निश्चित निष्कर्ष पर नहीं पहुंच जाता।

4. सृजनात्मक व्यक्तियों की मानसिक क्षमता उच्च स्तर की होती है (Creative person have high mental level)

सृजनात्मक व्यक्तियों के मानसिक क्षमता और मानसिकता उच्च होती है। वह किसी सामान्य व्यवस्था को स्वीकार करने में विश्वास नहीं रखते अपितु उसके सर्वोत्तम स्वरूप को विकसित करने तथा उसको अधिक उपयोगी बनाने में विश्वास रखते हैं।

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इस प्रकार की मानसिकता एक तरफ उनकी सृजनात्मकता में वृद्धि करती हैं वहीं दूसरी तरफ विकास का मार्ग भी प्रशस्त करती है।

5. आलोचनात्मक चिंतन एवं सृजन में विश्वास (Believe in critical thinking and creation)

सृजनात्मक व्यक्ति में आलोचनात्मक चिंतन एवं सृजन के प्रति उत्सुकता पाई जाती है। ऐसे व्यक्ति किसी घटना को ज्यों का त्यों स्वीकार नहीं करते अपितु उस पर विचार करके उसे सर्वोत्तम बनाने का प्रयास करते हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों को सृजनात्मक परिस्थितियों के निर्माण में कुशलता प्राप्त होती है क्योंकि वह प्रत्येक परिस्थिति को अपने अनुरूप बनाने में सफल होते हैं। प्रस्तुतीकरण की योग्यता भी इनका श्रेष्ठ एवं उपयोगी गुण होता है।

6. विश्लेषण एवं संश्लेषण की योग्यता (Ability Of analysis and Synthesis)

सृजनात्मक व्यक्तियों में किसी भी तथ्य या घटना के विश्लेषण करने की योग्यता होती है जिसके आधार पर वह घटना के मूल्य तथ्य तथा मूल कारण तक पहुंच जाते हैं। इसके साथ-साथ वे विभिन्न सिद्धांतों नियमों एवं सृजन के संश्लेषण पद्धति का प्रयोग करते हैं तथा विभिन्न बिखरे हुए विचारों का संश्लेषण करके नवीन विचारों का सृजन करते हैं। इस प्रकार सृजनात्मक व्यक्ति संश्लेषण और विश्लेषण दोनों योग्यताओं से युक्त होते हैं।

7. मस्तिष्क उद्वेलन की स्थिति (Situation of brain  storming)

सृजनात्मक व्यक्तियों के मस्तिष्क उद्वेलन की स्थिति देखी जाती है। ऐसे व्यक्ति किसी भी घटना या समस्या समाधान के लिए एक पक्षीय विचार नहीं करते अपितु विविध विचारों का सृजन करते हैं तथा सर्वोत्तम विचार या उपाय को समस्या समाधान के लिए प्रस्तुत करते हैं। इस प्रकार ये व्यक्ति प्रत्येक समस्या का सर्वोत्तम समाधान खोज सकते हैं।

8. अनुसंधान की प्रवृत्ति (Tendency of research)

सृजनात्मक व्यक्तियों में अनुसंधान की प्रवृत्ति पाई जाती है जिसके आधार पर यह प्रत्येक अवस्था को उसके सामान्य स्वरूप में स्वीकार नहीं करते बल्कि उसमें नया परिवर्तन करने का विचार करते हैं। इसके लिए ये विभिन्न प्रकार के प्रयोग करते हैं। इस प्रकार के कार्य ये सिद्ध करते हैं कि एक सृजनात्मक व्यक्ति अनुसंधान एवं प्रयोगों के प्रति सकारात्मक भाव रखता है।

9. प्रामाणिक तथ्यों का संकलन (Collection of standard factors)

सृजनात्मक व्यक्ति किसी भावना या विचारों में बहकर किसी कार्य योजना का निर्माण नहीं करता अपितु प्रमाणिक तत्वों के आधार पर अपनी योजना बनाते हैं जिससे कि उस योजना के व्यवहारिक एवं सार्थक परिणाम निकले। जैसे एक व्यक्ति समाज में व्याप्त कुरीतियों के बारे में अपना चिंतन प्रारंभ करने पर स्वस्थ परंपराओं का विकास करना चाहता है तो वह कुरीतियों से संबंधित सत्य घटनाओं को अपने चिंतन का आधार बनाएगा।

10. वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Scientific view)

सृजनात्मक व्यक्तियों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रभाव देखा जाता है। इस प्रकार के व्यक्ति सामाजिक व्यवस्था में भी उन विचारों एवं परंपराओं को स्थान देते हैं जिनका प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से विज्ञान से संबंध होता है। इनके कार्य एवं व्यवहार में तथ्यों का क्रमबद्ध प्रस्तुतीकरण देखा जाता है। यह प्रत्येक कार्य को व्यवस्थित एवं संगठित रूप से संपन्न करते हैं। तर्क एवं चिंतन के आधार पर वैज्ञानिक एवं समाजोपयोगी विचारों का सृजन करते हैं। Srijanatmakta Creativity in Hindi

इस प्रकार उपरोक्त विवेचन के आधार पर समाज में सृजनात्मक व्यक्तियों तथा विद्यालय में शिक्षक द्वारा सृजनात्मक बालकों को पहचाना जा सकता है तथा उनके लिए अनुकूल परिस्थितियों का निर्माण किया जा सकता है।

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