Shardiya Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि 2020 तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि

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Shardiya Navratri

Shardiya Navratri 2020: शारदीय नवरात्रि 2020 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और जरूरी बातें

भारत में शारदीय नवरात्रि 2020 (Navratri 2020) 17 अक्टूबर, दिन शनिवार से शुरू होगी और 25 अक्टूबर, दिन रविवार को समाप्त होगी।

नवरात्रि (Shardiya Navratri) हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है जो पूरे 9 दिनों तक चलता है। यह सामान्यत: सितम्बर या अक्टूबर महीने में आता है। इन 9 दिनों में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूरे विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस वर्ष यानि की सन 2020 में नवरात्रि 17 अक्टूबर से शुरू हो रही है।

कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

सुबह 8 बजकर 16 मिनट से कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त बन रहा है, जो 10 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, पूरे दिन में कलश स्थापना के कई योग बन रहे हैं। इसमें सुबह 11 बजकर 36 मिनट से 12 बजकर 24 मिनट तक अभिजीत मुहूर्त में भी बड़ी संख्या में लोग कलश स्थापना करके शक्ति की अराधना शुरू करते हैं। इसी दिन दोपहर 2 बजकर 24 मिनट से 03 बजकर 59 मिनट तक और शाम 7 बजकर 13 मिनट से 9 बजकर 12 मिनट तक स्थिर लग्न है। इसमें भी कलश स्थापना की जा सकती है। पहले दिन घट स्थापना के साथ मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

इस बार बन रहा है तीन स्वार्थ सिद्धि योग

इस नवरात्रि के दौरान तीन स्वार्थ सिद्धि योग 18 अक्टूबर, 19 अक्टूबर और 23 अक्टूबर को बन रहा है। वहीं, एक त्रिपुष्कर योग 18 अक्टूबर को बन रहा है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस नवरात्रि के दौरान गुरु व शनि स्वगृही रहेंगे जो बेहद ही शुभ फलदायी है। इस नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के साथ-साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करना लाभकर होगा। इस दौरान झूठ, फरेब व व्यसन से बचना चाहिए। कन्या पूजन के साथ-साथ नौ वर्ष से नीचे की कन्याओं को उपहार भी देना चाहिए।

साल में चार बार आती है नवरात्रि

वैसे तो शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) साल में केवल एक बार आती है लेकिन माँ दुर्गा की पूजा को समर्पित साल में चार बार नवरात्रि का त्योहार आता है। जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि आती है। नवरात्रि के नौ दिन में मां के नौ स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।

इस बार नवमी और दशमी एक दिन होगा

वर्ष 2020 की नवरात्रि में नवमी और दशमी एक ही दिन मनायी जाएगी। 25 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 14 मिनट तक नवमी मनायी जाएगी जबकि 11 बजकर 14 मिनट के बाद हवन के साथ विजयादशमी मनायी जाएगी। इसके बाद शाम को दशहरा मनाया जाएगा।

58 वर्षों बाद बन रहा है ये दुर्लभ योग

अधिकमास (Adhik maas 2020) जिसे मलमास भी कहा जाता है, के समाप्त होते ही इस साल 17 अक्टूबर 2020 से शारदीय नवरात्र (Navratri 2020) शुरू हुयी है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू इस नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि का हर दिन मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों को समर्पित होता है।

ज्योतिषविदों के अनुसार, नवरात्रि में इस बार 58 साल बाद एक बेहद शुभ संयोग (Shubh sanyog) भी बनने जा रहा है।

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इस बार नवरात्रि (Shardiya Navratri) में पूरे 58 साल बाद शनि (Shani) स्वराशि मकर और गुरु (Guru) स्वराशि धनु में रहेंगे। साथ ही साथ इस बार घटस्थापना पर भी विशेष संयोग बन रहा है। ये महासंयोग (Mahasanyog) कई लोगों को झोली खुशियों से भर सकते हैं। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है और इसी दिन घटस्थापना भी करते हैं। जौ बोने के साथ-साथ अखंड ज्योति भी जलाई जाती है। पूरे विधि-विधान से नवरात्रि के व्रत रखने वालों को मां दुर्गा का आशीर्वाद से लाभ प्राप्त होता है।

नवरात्रि में इस बार कई और भी खास संयोग बन रहे हैं। राजयोग, दिव्य पुष्कर योग, अमृत योग, सर्वार्थ सिद्धि योग और सिद्धि योग शारदीय नवरात्रि को खास बना रहे हैं। इस दौरान मां दुर्गा को लाल वस्त्र, फल और फूल अर्पित करने से आपको काफी लाभ मिलेगा। इस बीच दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से आपकी मनोकामनाएं भी पूरी हो सकती हैं।

पूजास्थल का चुनाव

वास्तु के हिसाब से घर का पूजा स्थल हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में ही होना चाहिए। इसलिए घर की उत्तर-पूर्व दिशा में ही घटस्थापना करें। चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं और कुमकुम से एक स्वास्तिक जरूर बनाएं। इसके बाद मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित करके अखंड ज्योति जलाएं और घटस्थापना करें।

घोड़े पर हो रहा है माँ का आगमन

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार मां का आगमन घोड़े पर हो रहा है। शास्त्रों के अनुसार मां का घोड़े पर आगमन पड़ोसी देशों के साथ कटु संबंध, राजनीतिक उथल-पुथल, रोग व शोक देता है। फिर मां भैंस पर विदा हो रही है। इसे भी शुभ नहीं माना जाता है।

दुर्गाशप्तसती का पाठ

नवरात्रि (Shardiya Navratri) में बड़ी संख्या में लोग दुर्गाशप्तसती का पाठ करते हैं। इस अवसर पर दुर्गा चालीसा का पाठ करने का भी विधान है। दुर्गाशप्तसती या दुर्गा चालीसा का खुद से पाठ करने वाले श्रद्धालुओं को पाठ के पहले माता का ध्यान करना चाहिए। इसके बाद अष्टोत्तरशतनाम (दुर्गा के 108 नाम) का जाप करना चाहिए। इसके बाद विनियोग करना चाहिए। बाद में श्रापमुक्ति मंत्र का पाठ करना चाहिए। इसके बाद माता का ध्यान करते हुए कवच का पाठ करने का विधान है। कवच पाठ के बाद अर्गला, कीलक आदि का पाठ करके सप्तशती का पाठ करना चाहिए।

नवरात्रि की प्रमुख तिथियां और मां का पूजन

17 अक्टूबर – प्रतिपदा – घट स्थापना और शैलपुत्री पूजन
18 अक्टूबर – द्वितीया – मां ब्रह्मचारिणी पूजन
19 अक्टूबर – तृतीया – मां चंद्रघंटा पूजन
20 अक्टूबर – चतुर्थी – मां कुष्मांडा पूजन
21 अक्टूबर – पंचमी – मां स्कन्दमाता पूजन
22 अक्टूबर – षष्ठी – मां कात्यायनी पूजन
23 अक्टूबर – सप्तमी – मां कालरात्रि पूजन
24 अक्टूबर – अष्टमी – मां महागौरी पूजन
25 अक्टूबर – नवमी, दशमी – मां सिद्धिदात्री पूजन व विजया दशमी

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