Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan

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Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan

Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan / क्या सच में पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को मारा था?

भारत का इतिहास बहुत स्वर्णिम रहा है इसमें कोई शक नहीं है. इस भारत की धरती ने ऐसे-ऐसे शूरवीरों को जन्म दिया है जिनपर हम आज भी गर्व करते हैं. लेकिन इसी इतिहास के पन्नों में कुछ कथाएं इतनी कडवी हैं जिनको हम भारतीय आजतक हजम नहीं कर पाए और उसको छुपाने के लिए तरह-तरह की मनगढ़ंत कहानियां रच कर अपने दिल को तसल्ली देते हैं. मोहम्मद गोरी की मृत्यु का सच भी उनमे से एक है. हम यह नहीं कह रहे कि पृथ्वीराज चौहान महान भारतीय शासक या वीर नहीं थे, लेकिन मोहम्मद गोरी को उन्होंने मारा ये पूरी तरह से मनगढ़ंत कहानी है.

क्या करें कि हमारा इतिहास कहीं-कहीं बहुत कड़वा बन बैठता है, लेकिन इसे किसी तरह बदला नहीं जा सकता. यह जैसा है वैसा ही हमें इसे जस का तस स्वीकार करना होगा।

पृथ्वीराज चौहान भारतीय इतिहास का बहुत बड़ा नाम है, उनके नाम से बहुत सारी लोक कथाएं प्रचलित है. पृथ्वीराज चौहान और संयोगिता की प्रेम कथा भारतीय जनमानस के हृदय में बसती है। गुजरात और अजमेर से संबंध होने के कारण गुजरात और राजस्थान की लोक कथाओं में पृथ्वीराज चौहान अति शूरवीर चतुर योद्धा है।

एक कथा तो उनकी और संयोगिता के प्रेम प्रसंग की है। इस पर भी प्रश्नचिन्ह है लेकिन ये कहानी उससे सम्बंधित नहीं है. हम सिर्फ बात करेंगे कि मोहम्मद गोरी की मृत्यु का सच क्या है. Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan

पृथ्वीराज के मोहम्मद गोरी को मारने की जो कहानी है, वह इतिहास के पन्नों में अलग और लोक कथाओं में अलग है। लोक कथाओं में जो कहानी प्रचलित है उसके अनुसार-

पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को 16 बार धूल चटाई थी लेकिन हर बार उसे जीवित छोड़ दिया। गोरी ने अपनी हार का और जयचंद ने अपने अपमान का बदला लेने के लिए एक-दूसरे से हाथ मिला लिया। जयचंद ने अपना सैनिक बल पृथ्वीराज चौहान को सौंप दिया, जिसके फलस्वरूप युद्ध में पृथ्वीराज चौहान को बंधक बना लिया गया। बंधक बनाते ही मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान की आंखों को गर्म सलाखों से जला दिया और कई अमानवीय यातनाएं भी दी। अंतत: मोहम्मद गोरी ने पृथ्वीराज चौहान को मारने का फैसला कर लिया। इससे पहले कि मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज को मार पाता, पृथ्वीराज के करीबी दोस्त और राजकवि चंदवरदाई ने गोरी को पृथ्वीराज की एक खूबी बताई।

दर्शन आरंभ करने का आदेश देते ही पृथ्वीराज ने समझ लिया कि गोरी कितनी दूरी और किस दिशा में बैठा है। उनकी सहायता करने के लिए चंदवरदाई ने दोहों की सहायता से पृथ्वीराज को गोरी की बैठकी समझाई।
चंदबरदाई ने ये शब्द कहा –

चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण,
ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान.

पृथ्वीराज ने बाण चलाया जिससे मोहम्मद गोरी धाराशाई हो गया। कहते हैं दुश्मन के हाथ से मरने से अच्छा है किसी अपने के हाथ से मरा जाए। बस यही सोचकर चंदवरदाई और पृथ्वीराज ने एक-दूसरे का वध कर अपनी दोस्ती का बेहतरीन नमूना पेश किया। जब संयोगिता को इस बात की खबर मिली तब वह भी एक वीरांगना की तरह सती हो गई।
पृथ्वीराज चौहान की समाधि अफगानिस्तान के गजनी शहर के बाहरी क्षेत्र में आज भी यथास्थान बनी हुई है लेकिन उसके हालात आज अच्छे नहीं हैं. क्योंकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के लोगों की नजर में मोहम्मद गोरी हीरो है. जबकि पृथ्वीराज चौहान को वो अपना दुश्मन मानते हैं. चूँकि पृथ्वीराज चौहान ने गोरी की हत्या की थी. यही वजह है कि पृथ्वीराज चौहान की समाधि को वे लोग तिरस्कार भरी नज़रों से देखते हैं और यहां तक की ठोकर भी मारा करते हैं.

अब इतिहास के पन्नों में चलते हैं जहां इसकी सच्चाई मौजूद है।

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु का सच

1191 में मोहम्मद गोरी ने भारत पर आक्रमण किया। यह तराइन का पहला युद्ध था और दो वीर योद्धा आमने-सामने थे एक मोहम्मद गोरी और दूसरे पृथ्वीराज चौहान। इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान ने गोरी को बुरी तरह से हराया और वह मरते-मरते बचा लेकिन अपनी सेना के एक योद्धा द्वारा उसको बचा लिया गया. पृथ्वीराज चौहान इसके बाद निश्चिंत हो गए तथा अपने शासन कार्य में लग गए. उन्हें लगा कि यह एक आम आक्रमण था और गोरी चेत गया होगा और अब दोबारा आक्रमण नहीं करेगा।

गोरी की महत्वाकांक्षा दूसरी थी। वह फिर अपनी सेना को व्यवस्थित करने में लग गया। सन 1192 में तराइन के द्वितीय युद्ध में दोनों फिर से आमने-सामने थे इस बार मोहम्मद गोरी की सेना में 120000 सैनिक थे जिसमें 10000 घुड़सवार तीरंदाज थे दूसरी ओर पृथ्वीराज चौहान की सेना में 300000 से अधिक सैनिक थे और 300 हाथी थे। गोरी की सेना के तुर्क तेज लड़ाई करते थे और मुसीबत आने पर तुरंत पीछे हट जाते। इस तरह श्रेष्ठ संगठन कौशल और तेज गति से पृथ्वीराज की सेना हार गई। पृथ्वीराज को सिरसा में पकड़ लिया गया।

इसके बाद पृथ्वीराज को मोहम्मद गोरी के अंतर्गत अजमेर में शासन करने को कहा गया। अजमेर में प्राप्त उस काल के सिक्के जिसकी एक और पृथ्वी राज देव और दूसरी ओर मोहम्मद साम लिखा हुआ है अभी भी मौजूद है तथा उस पर तारीख भी अंकित है। लेकिन इसके बाद वहां पर पृथ्वीराज पर षड्यंत्र का आरोप लगा और मोहम्मद गोरी पृथ्वीराज और उसके राजकवि चंदबरदाई को लेकर अपने गृह राज्य निकल गया और बाद में उन दोनों को मार दिया। इस तरह पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु हुई। Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan

मोहम्मद गोरी की मृत्यु का सच

पृथ्वीराज चौहान की मृत्यु के बाद मोहम्मद गोरी ने अनेक अभियान चलाएं और अनेक जगहों को जीता. 1206 में उसका आखिरी अभियान खोखर कबीलों के विरुद्ध था। हजारों खोखर लोगों का उसने कत्लेआम किया। उसके बाद गजनी जाते हुए उसे कट्टरपंथी मुस्लिम ने मार डाला। इसलिए मोहम्मद गोरी को पृथ्वीराज चौहान ने नहीं मारा।

यह कथा दुखद है और हो सकता है कि इसको पढ़कर बहुत सारे लोगों को दुःख हो. इस कथा को लिखते हुए मुझे भी उतना ही दुख है जितना सत्य को अभी जानते हुए पूर्व में इससे अनजान लोगों को होगा। पर इतिहास जैसा है हमको उसी तरह स्वीकार करना होगा। Mohammad Gori Prithwiraj Chauhan

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