Mahadevi Verma Kavita Sangrah (महादेवी वर्मा का कविता संग्रह)

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महादेवी वर्मा का कविता संग्रह

Mahadevi Verma Kavita Sangrah, निम्नलिखित रचनाएँ महादेवी वर्मा की प्रसिद्द कविता संग्रह हैं.

नीहार (1929) रश्मि (1932) नीरजा (1933)
सांध्यगीत (1935) दीपशिखा (1942) प्रथम आयाम (1980)
अग्निरेखा (1988) सप्तपर्णा  

महादेवी वर्मा की कविताओं का नया संकलन

इन संकलनों में महादेवी वर्मा की पुरानी कविताओं को ही नयी भूमिकाओं के साथ पुनर्मुद्रित किया गया है। ये नयी कवितायें नहीं हैं.  

Mahadevi Verma Kavita Sangrah

इसे भी पढ़ें: महादेवी वर्मा का जीवन परिचय

यामा (1940) दीपगीत (1983) नीलाम्बरा (1983)
आत्मिका (1983) हिमालय  

महादेवी वर्मा की कुछ प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायें

Mahadevi Verma Kavita Sangrah

निम्नलिखित कवितायेँ महादेवी वर्मा की प्रसिद्द प्रतिनिधि कवितायेँ हैं.

अलि! मैं कण-कण को जान चली   जब यह दीप थके   पूछता क्यों शेष कितनी रात?  
यह मंदिर का दीप   जो तुम आ जाते एक बार कौन तुम मेरे हृदय में  
मिटने का अधिकारमधुर-मधुर मेरे दीपक जल! जाने किस जीवन की सुधि ले
नीर भरी दुख की बदली   तेरी सुधि बिन   तुम मुझमें प्रिय, फिर परिचय क्या!
बीन भी हूँ मैं तुम्हारी रागिनी भी हूँ जाग तुझको दूर जाना   मैं प्रिय पहचानी नहीं  
जीवन विरह का जलजात   मैं बनी मधुमास आली! मधुर-मधुर मेरे दीपक जल!
बताता जा रे अभिमानी!   मेरा सजल मुख देख लेते! मैं नीर भरी दुख की बदली!
अधिकार   प्रिय चिरन्तन है   अश्रु यह पानी नहीं है  
स्वप्न से किसने जगाया?   धूप सा तन दीप सी मैं   अब यह चिड़िया कहाँ रहेगी  
मैं अनंत पथ में लिखती जो   जो मुखरित कर जाती थीं क्यों इन तारों को उलझाते?
वे मधुदिन जिनकी स्मृतियों की   अलि अब सपने की बात   सजनि कौन तम में परिचित सा  
क्या जलने की रीत   किसी का दीप निष्ठुर हूँ तम में बनकर दीप  
जीवन दीप   दीपक अब रजनी जाती रे सजनि दीपक बार ले  
फूल   क्या पूजन क्या अर्चन रे!   दीप मेरे जल अकम्पित  
तितली से   बया हमारी चिड़िया रानी आओ प्यारे तारो आओ  
ठाकुर जी भोले हैं   कोयल  

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