Historical Places of India (भारत के ऐतिहासिक स्थल)

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Historical Places of India

Historical Places of India in Hindi / भारत के पुरातनकालीन ऐतिहासिक स्थलों की जानकारी

अक्सर सिविल सेवा की परीक्षा (Civil Services Exam) में मेंस और प्री दोनों में भारत के ऐतिहासिक स्थलों  (Historical Places of India) के सवाल जरुर पूछे जाते हैं. मेंस में कई स्थलों के नाम एक साथ दे दिए जाते हैं और हर सवाल 1 नम्बर का होता है. Prelims में भी ऐतिहासिक स्थलों के नाम दे दिए जाते हैं और उनके locations पूछे जाते हैं. इस आर्टिकल में कुछ महत्त्वपूर्ण Indian historical places के बारे में जानकारी दी जा रही है. जो आगामी परीक्षा में भी आपके प्रश्न पत्र में दिख सकते हैं.

मोहनजोदड़ो (Mohenjo-daro)

मोहनजोदड़ो का शाब्दिक अर्थ है मृतकों का टीला. इसे सिंध का नखलिस्तान या सिंध का बाग़ भी कहा जाता है. मोहनजोदड़ो सिंध प्रांत के लरकाना जिले (पाकिस्तान) में सिन्धु नदी के तट पर स्थित है. इसकी सर्वप्रथम खोज राखालदास बनर्जी (Rakhaldas Banerjee) ने 1922 ई. में की थी. मोहनजोदड़ो का सबसे महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल है विशाल स्नानागार, जिसका जलाशय दुर्ग के टीले में है, जबकि मोहनजोदड़ो की सबसे बड़ी इमारत विशाल अन्नागार है, जो 45.71 मीटर लम्बा और 15.23 मीटर चौड़ा है. यहाँ अनेक अन्य सार्वजनिक भवन स्थित थे जिसमें महाविद्यालय भवन, सभा भवन प्रमुख हैं. मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्य पुरातात्त्विक साक्ष्यों में नृत्यरत नारी की कांस्य मूर्ति, मुद्रा पर अंकित पशुपति नाथ शिव, गीली मिट्टी पर कपड़े का साक्ष्य मिला है.

अहमदनगर (Ahmednagar)

अहमदनगर की स्थापना 1490 ई. में मलिक अहमद निजामशाही ने की थी. यह महाराष्ट्र में है. यह निजामशाही सुल्तानों की राजधानी रहा. यह 13वीं शताब्दी में बहमनी साम्राज्य के अंतर्गत था. अहमदनगर यादवों से लेकर मराठों तक की गतिविधि का प्रमुख केंद्र रहा है. अकबर ने जब इस पर आक्रमण किया तो चाँदबीबी ने उसकी सेनाओं का डटकर मुकाबला किया, पर अंत में अकबर ही जीता. मुगलों को अहमदनगर की स्वतंत्र सत्ता का बराबर प्रतिरोध झेलना पड़ा. अंततः 1637 ई. में शाहजहाँ ने अहमदनगर को मुग़ल सत्ता में मिला लिया. औरंगजेब के बाद यह मराठों के अधीन आ गया. Historical Places of India

नचना (Nachna)

नचना नामक स्थल मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में स्थित है. इसे नचना-कुठार के नाम से भी जाना जाता है. यहाँ गुप्तकालीन पार्वती मंदिर अपनी नागर शैली के लिए प्रसिद्ध है. यहाँ एक अन्य चतुर्मुखी महादेव मंदिर भी प्रसिद्ध है.

थानेश्वर (Thaneshwar)

थानेश्वर वर्तमान में अम्बाला एवं करनाल के मध्य में स्थित है. संस्कृत साहित्य विशेषकर हर्षचरित में थानेश्वर का बृहद उल्लेख मिलता है. यह नगर सरस्वती तथा दृषद्वती नदी के मध्य बसा हुआ था. इसे ब्रह्मावर्त क्षेत्र का केंद्र-बिंदु माना जाता था. आर्यों ने सबसे पहले यहीं निवास किया था. छठी शताब्दी के उत्तरार्ध में थानेश्वर पुष्यभूति वंश के शासकों की राजधानी बना था. पुष्यभूति शासक प्रभाकरवर्धन ने थानेश्वर को मालवा, उत्तर-पश्चिमी पंजाब एवं राजपूताना का केन्द्रीय नगर बनाया. 1014 ई. में थानेश्वर पर महमूद गजनवी ने आक्रमण कर यहाँ स्थित पवित्र चक्रस्वामी मंदिर को नष्ट कर दिया. तृतीय मराठा युद्ध के पश्चात् यह ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत आ गया.

बनवाली (Banawali)

बनवाली हरियाणा के हिसार जिले में स्थित है. इस स्थल का उत्खनन 1973 ई. में आर.एस.विष्ट ने करवाया था. यहाँ से प्राक्-हड़प्पा एवं हड़प्पा दोनों संस्कृतियों के साक्ष्य मिले हैं. उत्खनन के दौरान यहाँ से हल की आकृति का खिलौना, तिल, सरसों एवं जौ के ढेर तथा मनके, मातृदेवी की मूर्तियाँ, ताँबे के बाणाग्र आदि भी प्राप्त हुए हैं.

चेदि (Chedi)

प्राचीनकाल में चेदि महाजनपद यमुना नदी के किनारे स्थित था (बुंदेलखंड, मध्य प्रदेश). इसकी सीमा कुरु महाजनपद के साथ जुड़ी हुई थी. इसकी राजधानी सोत्थिवती या शक्तिमती या सुक्तिमती थी. जातक कथाओं एवं महाभारत में इस राज्य का उल्लेख किया गया है. यहाँ का सबसे प्रसिद्ध राजा शिशुपाल था, जिसकी चर्चा महाभारत में भी मिलती है. Historical Places of India

चंपानेर (Champaner)

चंपानेर गुजरात राज्य में बड़ौदा के निकट स्थित है. गुजरात के शासक महमूद बेगड़ा ने 1484 ई. में चंपानेर पर अधिकार कर उसे मुहम्मदाबाद नाम दिया था. 1535 ई. में हुमायूँ ने गुजरात के शासक बहादुरशाह को पराजित कर चंपानेर दुर्ग पर अधिकार प्राप्त कर लिया था. चंपानेर गुजरात में खम्भात की खाड़ी में पहुँचने वाले मार्ग पर स्थित था. यहाँ स्थित पावागढ़ पुरातत्व पार्क के स्मारकों को वर्ष 2004 ई में UNESCO द्वारा विश्व विरासत स्थलों की सूची में सम्मिलित किया गया है.

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देवगिरि (Devagiri)

देवगिरि की स्थापना दक्षिण भारत के यादव वंशीय शासक भिल्लम चतुर्थ (Bhillama IV) ने महाराष्ट्र में की थी. सल्तनतकाल में अलाउद्दीन खिलजी ने यहाँ के शासक रामचंद्र देव को हराकर इस नगर को खूब लूटा. सुलतान मुहम्मद तुगलक जब दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो उसे दक्षिण भारत में देवगिरि की केन्द्रीय स्थिति पसंद आई. सुलतान ने देवगिरि का नाम दौलताबाद रखा तथा 1327 ई.  में अपनी राजधानी दिल्ली से स्थानांतरित कर के दौलताबाद ले गया. बाद में राजधानी पुनः दिल्ली ले आई गई. तुगलक को जिन कारणों से पागल कहा जाता है उन कारणों में देवगिरि को राजधानी बनाना भी एक कारण माना जाता है. 3 मार्च, 1707 ई. में अहमदनगर में औरंगजेब की मृत्यु होने पर उसके शव को दौलताबाद में ही दफनाया गया.

रामेश्वरम् (Rameshwaram)

रामेश्वरम् हिन्दुओं का एक पवित्र तीर्थ स्थल है. यह तमिलनाडु के रामनाथपुरम् जिले में स्थित है. यह तीर्थ हिंदुओं के चार धामों (बद्रीनाथ, द्वारका, जगन्नाथपुरी, और रामेश्वरम) में से एक है. इसके अलावा यहाँ स्थापित शिवलिंग बारह (द्वादश) ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है. रामेश्वरम् चेन्नई से लगभग सवा चार सौ मील दक्षिण-पूर्व में है. यह हिन्द महासागर और बंगाल की खाड़ी के चारों ओर से घिरा हुआ सुन्दर शंख आकार का एक द्वीप है. यहाँ भगवान् राम ने लंका पर चढ़ाई करने से पूर्व पत्थरों के एक सेतु का निर्माण करवाया था जिस पर चलकर  वानर सेना लंका पहुंची थी. यहाँ के मंदिर का गलियारा विश्व के मंदिरों का सबसे लम्बा गलियारा है (longest corridor among all temples in world).

गजनी (Ghazni)

गजनी वर्तान में भारत का अंग नहीं है. यह इस समय अफगानिस्तान में स्थित एक पहाड़ी नगर है. यह शहर याकूब इब्न लेस नामक एक अरबी व्यक्ति द्वारा स्थापित किया गया था. 962 ई. में अलप्तगीन नामक तुर्क ने यहाँ एक छोटे से राज्य की स्थापना कर गजनी को राजधानी बनाया. उसका पौत्र सुल्तान महमूद था जो महमूद गजनवी के नाम से प्रसिद्ध हुआ. इसी महमूद गजनवी ने 1000 ई. से 1027 ई. तक भारत पर 17 बार आक्रमण किया. गजनी व्यापारिक केंद्र तथा बड़े-बड़े भवनों, चौड़ी सड़कों और संग्रहालयों से परिपूर्ण था. लेकिन 1151 ई. में गोर वंश के अलाउद्दीन हुसैन ने इस नगर पर आक्रमण कर उसे जलाकर ख़ाक कर दिया. इसके लिए उसे जहांसोज की उपाधि दी गई. बाद में मो.गौरी ने इसे फिर से बनाया. 1739 ई. में नादिरशाह ने गजनी पर अधिकार कर लिया था. Historical Places of India

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