GEF Full Form (Global Environment Facility)

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GEF Full Form

GEF Full Form in Hindi, GEF: Global Environment Facility (वैश्विक पर्यावरण सुविधा)

GEF का फुल फॉर्म “Global Environment Facility” यानि हिंदी में कहें तो “वैश्विक पर्यावरण सुविधा” है. GEF यानि वैश्विक पर्यावरण सुविधा साँझा वैश्विक पर्यावरण लाभों को प्राप्त करने के उपायों के बढ़ते खर्च को पूरा करने के लिए नये और अतिरिक्त अनुदान और रियायती कोष प्रदान करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय  सहयोग हेतु एक तंत्र के रूप में कार्य करता है। इसकी स्थापना अक्टूबर 1991 में विश्व बैंक के साथ एक पायलट कार्यक्रम के रूप में की गई थी ताकि वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा में सहायता मिल सके और पर्यावरणीय स्थिरता विकास को बढ़ावा दिया जा सके।

1992 रियो अर्थ शिखर सम्मेलन के दौरान पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने में मदद करने के उद्देश्य से स्थायी, अलग संस्थान (GEF Full Form) बनाया गया था। इसे स्वतंत्र रूप से एक वित्तीय संगठन के रूप में संचालित किया जाता है जो जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, अंतर्राष्ट्रीय जल, भूमि क्षरण, ओजोन परत, लगातार कार्बनिक प्रदूषक (पीओपी), पारा, टिकाऊ वन प्रबंधन, खाद्य सुरक्षा, टिकाऊ शहरों से संबंधित परियोजनाओं के लिए अनुदान प्रदान करता है।

GEF यानि वैश्विक पर्यावरण सुविधा के कामकाज की शैली

  • संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, बहुपक्षीय विकास बैंकों, राष्ट्रीय संस्थाओं और अंतर्राष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों सहित दुनिया भर में सबसे चुनौतीपूर्ण पर्यावरणीय मुद्दों को हल करने के लिए दुनिया भर में काम कर रहे 18 एजेंसियों के साथ GEF की अनूठी साझेदारी है। वैश्विक पर्यावरणीय मुद्दों को संबोधित करने वाले 183 देशों, अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों, नागरिक समाज संगठनों और निजी क्षेत्र की वैश्विक भागीदारी है।
  • यह (GEF Full Form) पात्र देशो को पांच मुख्या क्षेत्रो में अनुदान देता है: जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, भूमि अवक्रमण, अंतरराष्ट्रीय जल, रशयन एवं कचरा। यह जैविक विविधता पर सम्मलेन (सीबीडी), जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट ढांचा सम्मलेन (युएनएफसीसीसी), स्थायी जैविक पप्रदूषको पर स्टॉकहोल्म सम्मलेन (पीओपीएस), बंजर से मुकाबला के लिए संयुक्त राष्ट्र सम्मलेन (यूएनसीसीडी), मरकरी के विषय में मिनामाटा सम्मलेन के लिए वित्तपोषक तंर के रूप में भी काम करता है तथा ओजोन परत नष्ट करने वाले पदार्थो पर मोंट्रियल प्रोटोकॉल के क्रियान्वयन में भी मदद करता है।
  • यह बहु-हितधारक गठजोड़ों के समर्थन के माध्यम से पारिस्थितिक तंत्र को संरक्षित करने, हरित नगर निर्माण, खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने और समृद्ध तथा स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए एक नवप्रवर्तनक और उत्प्रेरक के रूप में कार्य करता है।

वैश्विक पर्यावरण सुविधा के कार्य क्षेत्र

यह जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन (शमन और अनुकूलन), रसायन, अंतर्राष्ट्रीय जल, भूमि क्षरण, टिकाऊ वन प्रबंधन / आरईडीडी +, ओजोन परत की कमी सहित सात मुख्य क्षेत्रों में काम करता है।

भारत और वैश्विक पर्यावरण सुविधा

भारत दुनिया में विकासशील देश में से एक है जो 1991 में अपनी स्थापना के बाद से जीईएफ का भागीदार रहा है। इसने जीईएफ को आकार देने में एक प्रमुख भूमिका निभाई है। भारत जीईएफ का दाता और प्राप्तकर्ता दोनों है।

अभी हाल में ही पर्यावरण की सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्‍याओं के समाधान के उद्देश्‍य को लेकर संयुक्‍त राष्‍ट्र की सहायक वैश्विक पर्यावरण सुविधा ने ‘हरित शहरी कार्यप्रणालियों’ को प्रोत्‍साहन देने के लिए चार भारतीय शहरों में पायलट परियोजनाओं को प्रारंभ करने पर सहमति जताई है। भारत की यात्रा पर आईं जीईएफ की मुख्‍य कार्यकारी अधिकारी और अध्‍यक्ष डॉ. नाको इशी और शहरी विकास मंत्री श्री एम. वेंकैया नायडू के बीच आज एक बैठक के दौरान इस संदर्भ में एक समझौते पर सहमति बनी।

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हाल ही में भारत ने ‘पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना’ (Ecosystem Service Improvement Project) के लिये विश्‍व बैंक के साथ 24.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (Global Environment Facility-GEF) अनुदान समझौता किया है।

यह परियोजना 24.64 मिलियन अमेरिकी की डॉलर है। इसका वहन पूर्ण रूप से विश्‍व बैंक के वैश्विक पर्यावरण सुगमता ट्रस्‍ट फंड (GEF Trust Fund) द्वारा किया जाएगा। परियोजना की अवधि 5 वर्ष है।

क्या है इस योजना का उद्देश्य?

  • पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद (Indian Council of Forestry Research & Education) के माध्‍यम से ‘हरित भारत राष्‍ट्रीय मिशन’ के तहत मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ में इस परियोजना का कार्यान्‍वयन करेगा।
  • इस (GEF Full Form) परियोजना का लक्ष्‍य वन विभागों और सामुदायिक संगठनों की संस्‍थागत क्षमता में मज़बूती लाना, वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को समृद्ध करना और मध्‍य भारत के उच्‍च क्षेत्रों में वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।

परियोजना के आवश्यक कदम

  • इस परियोजना के अंतर्गत केवल स्वीकृत और सुरक्षित जैव-नियंत्रण एजेंटों (bio-control agents) का उपयोग किया जायेगा तथा डॉक्यूमेंटेशन से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
  • सामान्य जैव-नियंत्रण एजेंटों (general bio-control agents) का उपयोग करने से बचा जाएगा और लक्षित प्रजातियों के लिये विशिष्ट जैव-नियंत्रण एजेंटों का उपयोग किया जाएगा।
  • जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादों पर निर्भर वैध उपयोगकर्ताओं को एक घोषणापत्र दिया जाएगा, ताकि आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित रहे।
  • परियोजना के लिये गांव स्तर की सहभागिता और निगरानी से संबंधित प्रोटोकॉल बनाये जायेंगे और सोशल ऑडिट की भी व्यवस्था की जाएगी।
  • ग्रामीण स्तर पर घरेलू लाभार्थीयों की एक सूची बनाई जाएगी और इसके ज़रिये अत्याधिक गरीब और पिछड़े लाभार्थियों की पहचान की जाएगी।
  • आम संपत्ति संसाधनों (common property resources) के जीर्णोद्धार (restoration) के दौरान भूमिहीन, पशुधन मालिकों के लिये वैकल्पिक रोज़गार या वैकल्पिक आय की व्यवस्था की जाएगी।

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