Gautam Buddha Contemporary Persons (गौतम बुद्ध के समकालीन लोग)

Ad:

https://www.hindisarkariresult.com/gautam-buddha-contemporary-persons
Gautam Buddha Contemporary Persons

Gautam Buddha Contemporary Persons in Hindi / गौतम बुद्ध के समकालीन लोग और राजा / Buddha ke samkalin log

इस आर्टिकल में हम गौतम बुद्ध जिनको महात्मा बुद्ध या भगवान बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है के समकालीन लोगों (Gautam Buddha Contemporary Persons) के बारे में बताने जा रहे हैं. महात्मा बुद्ध के बहुसंख्यक अनुयायियों में कुछ ऐसे थे जिन्होंने अपनी प्रतिभा, विद्वत्ता, सदाचारिता और श्रद्धा के कारण उनके ऊपर स्थायी प्रभाव डाला था और वे तथागत के परमप्रिय शिष्य बन गये थे. अपनी अनवरत साधना और कार्य परायणता से इन्होंने बौद्ध धर्म के प्रचार में महान योगदान दिया था. इनमें से कुछ निम्नलिखित हैं.

प्रसेनजीत

प्रसेनजीत कोशल का राजा था. बुद्ध के शिष्य/भरहुत स्तूप लेख में प्रसेनजीत और बुद्ध को एक ही आयु 80 वर्ष कहा गया है.

बिम्बिसार

बिम्बिसार मगध के राजा थे. ये भी महात्मा बुद्ध के प्रबल प्रशंसकों में से थे. इनकी राजकीय सहायता से महात्मा बुद्ध को अपने धर्म प्रचार में काफी सहायता मिली. बुद्ध ने गृहत्याग करने के बाद जब राजगृह में प्रवेश किया तो बिम्बिसार ने उनका स्वागत किया. सम्बोधि उपलब्ध होने के बाद अनेक भिक्षुओं के साथ बुद्ध ने जब राजगृह में प्रवेश किया तो बिम्बिसार ने उनका अभिनन्दन करके भिक्षु संघ को वेणुवन उद्यान दान में दिया.

अजातशत्रु

जैन और बौद्ध दोनों ग्रन्थों में अजातशत्रु को अपने-अपने धर्म का अनुयायी माना गया है. संभवतः शुरू में वह जैन था. परन्तु बौद्ध-ग्रन्थों के अनुसार वह बाद के जीवन में जैन-धर्म के बजाय बौद्ध धर्म का भक्त हो गया था. शुरू में बुद्ध के एकमात्र घोरतम शत्रु और चचेरे भाई देवदत्त के कहने में आकार वह बौद्ध-धर्म से शत्रुता करता था. देवदत्त ने अजातशत्रु से जाकार कहा राजन अपने पुरुषों को ऐसी आज्ञा दो कि मैं श्रमण गौतम को प्राणों से विरहित कर दूँ. तब राजकुमार आजातशत्रु ने अपने पुरुषों को आज्ञा दी कि जैसा अर्हत देवदत्त ने तुमसे कहा है, वैसा करो. Gautam Buddha Contemporary Persons

आनंद

आनंद बुद्ध का चहेरा भाई था. यह बुद्ध के पास अनिरुद्ध और उपालि के साथ आया था और उनका शिष्य बन गया. यह बड़ा स्मृतिवान था और बुद्ध का परम प्रिय शिष्य बन गया. उनके पारिनिर्वाण के बाद यही त्रिपिटक का संग्रहकार हुआ. इसका पारिनिर्वाण गंगा के मध्य वैशाली की सीमा पर पाटलिपुत्र से एक योजन उत्तर हुआ था. इसने अपना शरीर योगाग्नि में भस्म कर डाला और इसके शरीर के भस्म को अज्ञातशत्रु और लिच्छवी लोगों ने लेकर आधे-आधे बांटकर अपने-अपने देशों के स्तूप बनवाकर उसमें रखा. आनंद ने ही स्त्रियों को प्रव्रज्या देने के लिए बुद्ध से प्राथना की थी.

सारिपुत्र

सारिपुत्र भी महात्मा बुद्ध का एक शिष्य था. यह उपतिष्य ग्राम निवासी वंकत नामक ब्राह्मण का पुत्र था. यह गौतम बुद्ध का परम प्रिय शिष्य था. उनके जीवनकाल में ही इसे परिनिर्वाण प्राप्त हुआ था.

महामौदगलायन

यह राजगृह के पास कोलित ग्राम का रहने वाला सुजात नामक ब्राह्मण का पुत्र था. यह सारिपुत्र के साथ राजगृह में बुद्ध का शिष्य बना था. यह शतपर्ण के प्रथम धर्मसंघ में महाकश्यप के त्रिपिटक के संग्रह में सम्मिलित था. Gautam Buddha Contemporary Persons

सुनीति

सुनीति जन्म से भंगी था और बाद में बुद्ध का शिष्य बना.

देवदत्त

देवदत्त गौतम बुद्ध का चेचेरा भाई था. सिद्धार्थ के गौतम बुद्ध बनने की शुरुवात इसके साथ के एक कथा प्रसंग में आती है. सिद्दार्थ के बालकपन में देवदत्त ने एक शिकार किया था जिसका सिद्धार्थ के बालमन पर बहुत प्रभाव पड़ा. संभवतः बुद्ध के जीवन का एक ही अप्रिय प्रसंग है जिसका सम्बन्ध उनके चचेरे भाई देवदत्त के विरोध और ईर्ष्या से है. पालि उल्लेखों के अनुसार वह आरम्भ में बुद्ध का अनुगत था, और वे अपने प्रमुख शिष्यों में उसकी गिनती करते थे. केवल एक बार इनमें उसके दुष्ट भावों की ओर संकेत किया गया है. उसके धर्म छोड़कर अलग हो जाने की बात विनय में और बाद के ग्रन्थों में आंशिक रूप में दी गई है.

अनिरुद्ध

अनिरुद्ध भी गौतम बुद्ध का चचेरा भाई था. यह अमृतोदन का पुत्र था. जब बुद्ध कपिलवस्तु जाकर वहाँ से चलने लगे तो आनंद, भद्रिय किमिल, भगु और देवदत्त के साथ नापति उपालि को ले वह प्रव्रज्या ग्रहण करने की इच्छा से उनके पास आया था. महात्मा बुद्ध ने सबसे पहले उपालि को अपना शिष्य बनाया, फिर अन्य राजकुमारों को दीक्षा दी. अनिरुद्ध दिव्यचक्षु हो गया था. बुद्ध के त्रयस्त्रिंश धाम जाने पर इसी ने उन्हें अपने दिव्य चक्षु से वहाँ देख आनंद को उनके पास भेजा था.

अंगुलिमाल

अंगुलिमाल कोसल के राजा प्रसेनजित के पुरोहित का पुत्र था. यह एक प्रचंड तांत्रिक और क्रूर डाकू था. तांत्रिक प्रयोग हेतु तर्जनी अंगुली की माला पहनने के कारण अंगुलिमाल के नाम से प्रसिद्ध था. जंगल में बुद्ध भिक्षा के उद्देश्य से गुजरने के समय अंगुलिमाल से भेंट हुई. बुद्ध के आध्यात्म्पूर्ण कथन – “संसार में मैं ही एक स्थिर हूँ और समस्त चल हैं” – सुनकर अंगुलिमाल को ज्ञान प्राप्त हो गया.

अम्बपाली

अम्बपाली या आम्रपाली या आम्रदारिका के नाम से प्रसिद्ध यह वैशाली की नगरवधू थी. आम के पेड़ के नीचे भूमिष्ट, आम के फल का कर पालित जन्मान्तर में लाख बार नगरवधू रह चुकी थी. कश्यप बुद्ध के अवतार काल में आत्मसंयम धारण करने के परिणामस्वरूप देवलोक में देवकन्या बनी और देवलोक से च्युत होकर वैशाली की नगरवधू बनी जो पूर्व जन्म के संस्कार का परिणाम था. मगध के राजा बिम्बिसार की प्रेमिका के रूप में लम्बे समय तक राजगृह में निवास किया. परिणामस्वरूप बिम्बिसार के संयोग से एक पुत्र भी हुआ. आम्रपाली वैशाली और राजगृह में निवास करती थी. बुद्ध के वैशाली यात्रा के समय उसने उन्हें संघसहित अपने घर आमंत्रित किया और अपने आम के बगीचे को यथाविधि भिक्षु संघ के वास के निमित्त दान दिया. बुद्ध के उपदेश से आम्रपाली ज्ञान लाभ कर अर्हतपद को प्राप्त हुई.

उत्पला

एक भिक्षुणी का नाम. इसे उत्पल्वर्णा भी कहते हैं. संकाश्प नगर में जब बुद्ध स्वर्ग से उतरे थे तो यह उनके दर्शन के लिए बड़ी चिंतित थी. बुद्ध ने अपने तपोबल के प्रभाव से उसे चक्रवर्ती राजा बना दिया था और उसने भगवान् का सबसे पहले दर्शन किया था.

उपसेन

पंचवर्गी भिक्षु में एक काशी निकटस्थ सारनाथ स्थित मृगदाव में प्रथम धर्म चक्र से उपदेशित निरपेक्ष, निराभिमान भिक्षु. उपसेन का मूल नाम अश्वजित् था.

उपालि

कपिलवस्तु का एक नापित. बुद्ध का शिष्य, बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद राजगृह के सप्तपर्णी गुफा में महाकश्यप के अध्यक्षता में आयोजित प्रथम बौद्ध संगती में विनयपिटक का प्रवक्ता था. बुद्ध ने अपने जीवनकाल में राजपुत्रों को भी उपालि के समक्ष प्रणिपात की आज्ञा दी.

एलापत्र

पूर्वजन्म का योगी. एला वृक्ष के नीचे समाधिस्थ नाग का पूर्व नाम है. मृगदाव (आधुनिक सारनाथ) में बुद्ध से नागयोनि से मुक्ति का सन्देश प्राप्त किया.

कौडिन्य

यह पंचवर्गी भिक्षुओं में से एक थे.

छंदक

बुद्ध का सारथि. यह बुद्ध के महाभिनिष्क्रमण के समय कन्थक को लेकर उनके साथ रात में गया था और मल्लों के राज्य के अनोमा नदी के तट पर बुद्ध ने उसे कन्थक और चंडक के समक्ष अपने प्रव्रज्या की घोषणा की और सांत्वना देकर कपिलवस्तु वापस भेजा. Gautam Buddha Contemporary Persons

जीवक

सालावती नामक नगरवधु का पुत्र. तक्षशिला विश्वविद्यालय का स्नातक. बाल रोग का विशेषज्ञ. बुद्ध के प्रति समर्पित जीवन संघ का आभूषण था. सात वर्ष तक उसने तक्षशिला में आयुर्वेद का अध्ययन किया और नगर के चारों ओर एक योजन तक समाप्ति का निर्देश करते हुए आचार ने कहा – प्रिय जीवक, तुम विद्याध्ययन कर चुके, जीवकोपार्जन के लिए इतना यथेष्ट है.

इसे भी पढ़ें: गौतम बुद्ध का जीवन परिचय और उनकी शिक्षाएं

तब उसने घर के लिए प्रस्थान किया. मार्ग में उसने साकेत में एक धनी व्यापारी की स्त्री की चिकित्सा की और बदले में 16,000 कार्षापण लिए. राजा बिम्बिसार ने उसे अपना राजवैद्य और बुद्ध एवं संघ का वैद्य नियुक्त किया.

नन्द

बुद्ध का सौतेला भाई. इसे बुद्ध ने कपिलवस्तु में आकर उसे अपना शिष्य बना लिया था.

महाकश्यप

बुद्ध के एक प्रधान शिष्य का नाम. यह राजगृह के पास महातीर्थ नामक गाँव का रहने वाला था. इसके पिता का नाम कपिल था. इसका पूर्व नाम पिप्पल था. यह बहुत ही विद्वान् था. इसे बुद्ध ने अपने तीसरे चातुर्मास्य में राजगृह में प्रव्रज्या ग्रहण कराई थी.

महाप्रजापति

बुद्ध की विमाता. यह महामाया की बहन थीं. इन्होंने ने ही बुद्ध का पालन-पोषण किया था. महाराज शुद्धोदन के देहांत हो जाने पर वह प्रव्रत्या ग्रहण करने के लिए बुद्ध के पास गई. बुद्ध ने स्त्रियों को प्रव्रज्या देने से इनकार किया पर जब आनंद ने अनुरोध किया तो उन्होंने उसे प्रव्रज्या ग्रहण कराई थी. इनका एक ही पुत्र नन्द था जिसे बुद्ध कपिलवस्तु में जाकर शुद्धोदन के जीवनकाल में ही प्रव्रज्या देकर साथ ले आये थे. Gautam Buddha Contemporary Persons

मुलिचंद

एक नाग का नाम. यह गया के पास एक हृद में रहता था. हृद के पास ही मुलिचंद का एक पेड़ भी था. बुद्ध बोधि ज्ञान प्राप्त कर जब उस हृद के पास गये तो सात दिन तक मूसलाधार वर्षा हुई थी. उस समय इस नाग ने बुद्ध को अपने फन से सात दिन तक वर्षा से बचा रखा था.

राहुल

गौतम बुद्ध के पुत्र का नाम. इसे बुद्ध ने कपिलवस्तु पहुंचकर सारिपुत्र से प्रव्रज्या दिलवाई थी. यह वैभाषिक नामक दर्शन का आचार्य था. यह श्रामनेरों का अग्रगण्य और पूज्य माना जाता है.

विशाखा

इसे माता विशाखा भी कहते हैं. यह प्रसेनजित के कोषाध्यक्ष पुण्यवर्द्धन की स्त्री थी. इसने बुद्ध के लिए एक विहार बनवाया था जिसका नाम पूर्वाराम था. यह बड़ी दानशील थी.

सुदत्त

इसे अनाथपिन्डक भी कहते थे. यह श्रावस्ती का एक धनाढ्य सेठ था. इसने श्रावस्ती में जेतवन विहार बनवाया था. जेतवन को उसने सारी पृथ्वी पर मोहर बिछाकर क्रय किया था. बुद्ध उस विहार में रहते थे. यह बड़ा दानशील था.

सुभद्र

एक त्रिंदडी यती का नाम. यह बुद्ध के निर्वाणकाल में कुशीनगर में गया और उनका अंतिम शिष्य हुआ था. यह अर्हत हो गया था. इसकी अवस्था 120 वर्ष की थी. Gautam Buddha Contemporary Persons

आलार कलाम

बुद्ध के प्रथम गुरु

उद्दक रामपुत्त

बुद्ध के गुरु

अश्वजीत, महानाम, वाप्प, भदीय, कौण्डिय

बुद्ध के प्रथम पाँच शिष्य जिन्हें बुद्ध ने प्रथमतः दीक्षित किया जो धर्मचक्रप्रवर्तन कहलाता है. अशोक ने बाद में इसी स्थान में दमेक नामक स्तूप का निर्माण किया और एक स्तम्भ भी लगाया. उस स्तम्भ के शीर्ष में चार सिंह थे और उनके ऊपर एक धर्मचक्र भी था. कालांतर में यह स्तम्भ शीर्ष गिर गया और धर्मचक्र नष्ट हो गया. परन्तु शीर्ष का शेष भाग सुरक्षित है और यह सारनाथ के संग्राहलय में रखा हुआ है. इसी शीर्ष को भारत सरकार ने अपना प्रतीक चिन्ह बनाया है.

Ad:

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.