Ye vrikshon me uge parinde (ये वृक्षों में उगे परिन्दे कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी
Ye vrikshon me uge parinde, ये वृक्षों में उगे परिन्दे, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. ये वृक्षों में उगे परिन्दे पंखुड़ि-पंखुड़ि पंख लिये अग जग में अपनी सुगन्धित का दूर-पास विस्तार किये। झाँक रहे हैं नभ में किसको फिर अनगिनती पाँखों से जो न झाँक पाया संसृति-पथ कोटि-कोटि निज आँखों से। श्याम … Read more