Funkaran kar re Kavita (फुंकरण कर रे समय के साँप कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी
Funkaran kar re Kavita, फुंकरण कर रे समय के साँप, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. फुंकरण कर, रे समय के साँप कुंडली मत मार, अपने-आप। सूर्य की किरणों झरी सी यह मेरी सी, यह सुनहली धूल; लोग कहते हैं फुलाती है धरा के फूल! इस सुनहली दृष्टि से हर बार कर चुका-मैं … Read more