Amar Rashtra Kavita (अमर राष्ट्र कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Amar Rashtra Kavita, अमर राष्ट्र, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. छोड़ चले, ले तेरी कुटिया, यह लुटिया-डोरी ले अपनी, फिर वह पापड़ नहीं बेलने; फिर वह माला पडे न जपनी। यह जागृति तेरी तू ले-ले, मुझको मेरा दे-दे सपना, तेरे शीतल सिंहासन से सुखकर सौ युग ज्वाला तपना। सूली का पथ ही … Read more

Jawani Kavita (जवानी कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Jawani Kavita, जवानी, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. प्राण अन्तर में लिये, पागल जवानी ! कौन कहता है कि तू विधवा हुई, खो आज पानी? चल रहीं घड़ियाँ, चले नभ के सितारे, चल रहीं नदियाँ, चले हिम-खंड प्यारे; चल रही है साँस, फिर तू ठहर जाये? दो सदी पीछे कि तेरी लहर … Read more

Bali Panthi se Kavita (बलि-पन्थी से कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Bali Panthi se Kavita, बलि-पन्थी से, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. मत व्यर्थ पुकारे शूल-शूल, कह फूल-फूल, सह फूल-फूल। हरि को ही-तल में बन्द किये, केहरि से कह नख हूल-हूल। Bali Panthi se Kavita कागों का सुन कर्त्तव्य-राग, कोकिल-काकलि को भूल-भूल। सुरपुर ठुकरा, आराध्य कहे, तो चल रौरव के कूल-कूल। भूखंड बिछा, … Read more

Vardan ya Abhishap Kavita (वरदान या अभिशाप? कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Vardan ya Abhishap Kavita, वरदान या अभिशाप?, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. कौन पथ भूले, कि आये ! स्नेह मुझसे दूर रहकर कौनसे वरदान पाये? यह किरन-वेला मिलन-वेला बनी अभिशाप होकर, और जागा जग, सुला अस्तित्व अपना पाप होकर; छलक ही उट्ठे, विशाल ! न उर-सदन में तुम समाये। Vardan ya Abhishap … Read more

Vayu Kavita Makhanlal Chaturvedi (वायु कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Vayu Kavita Makhanlal Chaturvedi, वायु माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. चल पडी चुपचाप सन-सन-सन हवा, डालियों को यों चिढाने-सी लगी, आंख की कलियां, अरी, खोलो जरा, हिल स्वपतियों को जगाने-सी लगी, Vayu Kavita Makhanlal Chaturvedi पत्तियों की चुटकियां झट दीं बजा, डालियां कुछ ढुलमुलाने-सी लगीं। किस परम आनंद-निधि के चरण पर, विश्व-सांसें … Read more

Sipahi Kavita Makhanlal Chaturvedi (सिपाही कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Sipahi Kavita Makhanlal Chaturvedi , सिपाही माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. गिनो न मेरी श्वास, छुए क्यों मुझे विपुल सम्मान? भूलो ऐ इतिहास, खरीदे हुए विश्व-ईमान !! अरि-मुड़ों का दान, रक्त-तर्पण भर का अभिमान, लड़ने तक महमान, एक पँजी है तीर-कमान! मुझे भूलने में सुख पाती, जग की काली स्याही, दासो दूर, … Read more

Giri par chadhte Kavita (गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीरे कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Giri par chadhte Kavita, गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीरे, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. सूझ ! सलोनी, शारद-छौनी, यों न छका, धीरे-धीरे ! फिसल न जाऊँ, छू भर पाऊँ, री, न थका, धीरे-धीरे ! कम्पित दीठों की कमल करों में ले ले, पलकों का प्यारा रंग जरा चढ़ने दे, मत चूम! नेत्र पर … Read more

Kunj Kuteere Yamuna Teere (कुंज कुटीरे यमुना तीरे कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Kunj Kuteere Yamuna Teere, कुंज कुटीरे यमुना तीरे, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. पगली तेरा ठाट ! किया है रतनाम्बर परिधान अपने काबू नहीं, और यह सत्याचरण विधान ! उन्मादक मीठे सपने ये, ये न अधिक अब ठहरें, साक्षी न हों, न्याय-मन्दिर में कालिन्दी की लहरें। डोर खींच मत शोर मचा, मत … Read more

Kaidi aur Kokila Kavita (कैदी और कोकिला कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Kaidi aur Kokila Kavita, कैदी और कोकिला, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. कैदी और कोकिला क्या गाती हो? क्यों रह-रह जाती हो? कोकिल बोलो तो! क्या लाती हो? सन्देशा किसका है? कोकिल बोलो तो! ऊँची काली दीवारों के घेरे में, डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में, जीने को देते नहीं पेट भर … Read more

Main apne se darti hu Kavita (मैं अपने से डरती हूँ सखि)- माखनलाल चतुर्वेदी

Main apne se darti hu Kavita, मैं अपने से डरती हूँ सखि, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. मैं अपने से डरती हूँ सखि ! पल पर पल चढ़ते जाते हैं, पद-आहट बिन, रो! चुपचाप बिना बुलाये आते हैं दिन, मास, वरस ये अपने-आप; लोग कहें चढ़ चली उमर में पर मैं नित्य … Read more

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