Tumhara Chitra Kavita (तुम्हारा चित्र कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Tumhara Chitra Kavita, तुम्हारा चित्र, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया कुछ नीले कुछ श्वेत गगन पर हरे-हरे घन श्यामल वन पर द्रुत असीम उद्दण्ड पवन पर चुम्बन आज पवित्र बन गया, मधुर! तुम्हारा चित्र बन गया। Tumhara Chitra Kavita तुम आए, बोले, तुम खेले दिवस-रात्रि बांहों पर … Read more

Pushp ki Abhilasha Kavita (पुष्प की अभिलाषा कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Pushp ki Abhilasha Kavita, पुष्प की अभिलाषा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. Pushp ki Abhilasha Kavita चाह नहीं, मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध प्यारी को ललचाऊँ, चाह नहीं सम्राटों के शव पर हे हरि डाला जाऊँ, चाह नहीं देवों के सिर पर चढूँ भाग्य पर … Read more

Tan ki Maror Kavita (तान की मरोर कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Tan ki Maror Kavita, तान की मरोर, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. तू न तान की मरोर देख, एक साथ चल, तू न ज्ञान-गर्व-मत्त– शोर, देख साथ चल। सूझ की हिलोर की हिलोरबाज़ियाँ न खोज, तू न ध्येय की धरा– गुंजा, न तू जगा मनोज। तू न कर घमंड, अग्नि, जल, पवन, … Read more

Ghar mera hai Kavita (घर मेरा है? कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Ghar mera hai Kavita, घर मेरा है?, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. क्या कहा कि यह घर मेरा है? जिसके रवि उगें जेलों में, संध्या होवे वीरानों मे, उसके कानों में क्यों कहने आते हो? यह घर मेरा है? है नील चंदोवा तना कि झूमर झालर उसमें चमक रहे, क्यों घर की … Read more

Jhula jhule ri Kavita (झूला झूलै री कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Jhula jhule ri Kavita, झूला झूलै री, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. संपूरन कै संग अपूरन झूला झूलै री, दिन तो दिन, कलमुँही साँझ भी अब तो फूलै री। गड़े हिंडोले, वे अनबोले मन में वृन्दावन में, निकल पड़ेंगे डोले सखि अब भू में और गगन में, ऋतु में और ऋचा में … Read more

Subhadra Kumari Chauhan Kavita (सुभद्रा कुमारी चौहान का कविता संग्रह)

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Subhadra Kumari Chauhan Kavita सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra Kumari Chauhan) का जन्म नागपंचमी के दिन, 16 अगस्त 1904 को इलाहाबाद के पास निहालपुर गाँव में एक जमींदार परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम ‘ठाकुर रामनाथ सिंह’ था। सुभद्रा कुमारी चौहान, चार बहने और दो भाई थे। इनके पिता ठाकुर रामनाथ सिंह शिक्षा के … Read more

Badariya tham thamkar Kavita (बदरिया थम-थमकर झर री)- माखनलाल चतुर्वेदी

Badariya tham thamkar Kavita, बदरिया थम-थमकर झर री, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. बदरिया थम-थनकर झर री ! सागर पर मत भरे अभागन गागर को भर री ! बदरिया थम-थमकर झर री ! एक-एक, दो-दो बूँदों में बंधा सिन्धु का मेला, सहस-सहस बन विहंस उठा है यह बूँदों का रेला। तू खोने … Read more

Tum Mile Kavita (तुम मिले कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Tum Mile Kavita, तुम मिले, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. तुम मिले, प्राण में रागिनी छा गई! भूलती-सी जवानी नई हो उठी, भूलती-सी कहानी नई हो उठी, जिस दिवस प्राण में नेह बंसी बजी, बालपन की रवानी नई हो उठी। किन्तु रसहीन सारे बरस रसभरे हो गए जब तुम्हारी छटा भा गई। … Read more

Mujhe rone do Kavita (मुझे रोने दो कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Mujhe rone do Kavita, मुझे रोने दो, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. भाई, छेड़ो नहीं, मुझे खुलकर रोने दो। यह पत्थर का हृदय आँसुओं से धोने दो। रहो प्रेम से तुम्हीं मौज से मजुं महल में, मुझे दुखों की इसी झोपड़ी में सोने दो। कुछ भी मेरा हृदय न तुमसे कह पावेगा … Read more

Upalambh Kavita (उपालम्भ कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Upalambh Kavita, उपालम्भ, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. क्यों मुझे तुम खींच लाये? एक गो-पद था, भला था, कब किसी के काम का था? क्षुद्ध तरलाई गरीबिन अरे कहाँ उलीच लाये? एक पौधा था, पहाड़ी पत्थरों में खेलता था, जिये कैसे, जब उखाड़ा गो अमृत से सींच लाये! एक पत्थर बेगढ़-सा पड़ा … Read more

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