Swadesh ke prati Kavita (स्वदेश के प्रति कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Swadesh ke prati Kavita, स्वदेश के प्रति सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. आ, स्वतंत्र प्यारे स्वदेश आ, स्वागत करती हूँ तेरा। तुझे देखकर आज हो रहा, दूना प्रमुदित मन मेरा॥ आ, उस बालक के समान जो है गुरुता का अधिकारी। आ, उस युवक-वीर सा जिसको विपदाएं ही हैं प्यारी॥ Swadesh … Read more

Smritiyan Kavita (स्मृतियाँ कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Smritiyan Kavita, स्मृतियाँ सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. क्या कहते हो? किसी तरह भी भूलूँ और भुलाने दूँ? गत जीवन को तरल मेघ-सा स्मृति-नभ में मिट जाने दूँ? शान्ति और सुख से ये जीवन के दिन शेष बिताने दूँ? कोई निश्चित मार्ग बनाकर चलूँ तुम्हें भी जाने दूँ? कैसा निश्चित … Read more

Saki Kavita (साक़ी कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Saki Kavita, साक़ी सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. अरे! ढाल दे, पी लेने दे! दिल भरकर प्यारे साक़ी। साध न रह जाये कुछ इस छोटे से जीवन की बाक़ी॥ ऐसी गहरी पिला कि जिससे रंग नया ही छा जावे। अपना और पराया भूलँ; तू ही एक नजऱ आवे॥ ढाल-ढालकर पिला … Read more

Sadh Kavita (साध कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Sadh Kavita, साध सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. मृदुल कल्पना के चल पँखों पर हम तुम दोनों आसीन। भूल जगत के कोलाहल को रच लें अपनी सृष्टि नवीन।। वितत विजन के शांत प्रांत में कल्लोलिनी नदी के तीर। बनी हुई हो वहीं कहीं पर हम दोनों की पर्ण-कुटीर।। कुछ रूखा, … Read more

Samarpan Kavita (समर्पण कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Samarpan Kavita, समर्पण सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित एक प्रसिद्द कविता है. सूखी सी अधखिली कली है परिमल नहीं, पराग नहीं। किंतु कुटिल भौंरों के चुंबन का है इन पर दाग नहीं॥ तेरी अतुल कृपा का बदला नहीं चुकाने आई हूँ। केवल पूजा में ये कलियाँ भक्ति-भाव से लाई हूँ॥ Samarpan Kavita … Read more

Sabha ka khel Kavita (सभा का खेल कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Sabha ka khel Kavita, सभा का खेल सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित एक प्रसिद्द बाल कविता है. सभा सभा का खेल आज हम खेलेंगे जीजी आओ, मैं गाँधी जी, छोटे नेहरू तुम सरोजिनी बन जाओ। मेरा तो सब काम लंगोटी गमछे से चल जाएगा, छोटे भी खद्दर का कुर्ता पेटी से ले … Read more

Vyakul chah Kavita (व्याकुल चाह कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Vyakul chah Kavita, व्याकुल चाह सुभद्रा कुमारी चौहान (Subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. सोया था संयोग उसे किस लिए जगाने आए हो? क्या मेरे अधीर यौवन की प्यास बुझाने आए हो?? रहने दो, रहने दो, फिर से जाग उठेगा वह अनुराग। बूँद-बूँद से बुझ न सकेगी, जगी हुई जीवन की आग॥ Vyakul chah … Read more

Vedna Kavita (वेदना कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Vedna Kavita, वेदना सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. दिन में प्रचंड रवि-किरणें मुझको शीतल कर जातीं। पर मधुर ज्योत्स्ना तेरी, हे शशि! है मुझे जलाती॥ संध्या की सुमधुर बेला, सब विहग नीड़ में आते। मेरी आँखों के जीवन, बरबस मुझसे छिन जाते॥ नीरव निशि की गोदी में, बेसुध जगती जब … Read more

Veero ka kaisa ho vasant Kavita (वीरों का कैसा हो वसंत कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Veero ka kaisa ho vasant Kavita, वीरों का कैसा हो वसंत सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित वीर रस की एक प्रसिद्द कविता है. आ रही हिमालय से पुकार है उदधि गरजता बार बार प्राची पश्चिम भू नभ अपार; सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त वीरों का कैसा हो वसंत फूली सरसों ने दिया … Read more

Vida Kavita (विदा कविता)- सुभद्रा कुमारी चौहान

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Vida Kavita, विदा सुभद्रा कुमारी चौहान (subhadra kumari chauhan) द्वारा लिखित कविता है. अपने काले अवगुंठन को रजनी आज हटाना मत। जला चुकी हो नभ में जो ये दीपक इन्हें बुझाना मत॥ सजनि! विश्व में आज तना रहने देना यह तिमिर वितान। ऊषा के उज्ज्वल अंचल में आज न छिपना अरी सुजान॥ सखि! प्रभात की … Read more

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