Kaisi hai pahichan tumhari (कैसी है पहिचान तुम्हारी कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Kaisi hai pahichan tumhari, कैसी है पहिचान तुम्हारी, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. कैसी है पहिचान तुम्हारी राह भूलने पर मिलते हो ! पथरा चलीं पुतलियाँ, मैंने विविध धुनों में कितना गाया दायें-बायें, ऊपर-नीचे दूर-पास तुमको कब पाया धन्य-कुसुम ! पाषाणों पर ही तुम खिलते हो तो खिलते हो। कैसी है पहिचान … Read more

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