Jade ki sanjh Kavita (जाड़े की साँझ कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी
Jade ki sanjh Kavita, जाड़े की साँझ, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. किरनों की शाला बन्द हो गई चुप-चुप अपने घर को चल पड़ी सहस्त्रों हँस-हँस उद्दण्ड खेलतीं घुल-मिल होड़ा-होड़ी रोके रंगों वाली छबियाँ? किसका बस! ये नटखट फिर से सुबह-सुबह आवेंगी पंखनियाँ स्वागत-गीत कि जब गावेंगी। दूबों के आँसू टपक उठेंगे … Read more