Diseases and Causes (रोग और उसको पैदा करने वाले कीटाणु)

Ad:

http://www.hindisarkariresult.com/diseases-and-causes/
Diseases and Causes

Diseases and Causes / रोग और उसको पैदा करने वाले कीटाणु

रोग का शाब्दिक अर्थ होता है अस्वस्थ रहना अर्थात सहज नहीं होना. दूसरे शब्दों में कहें तो शरीर के अलग-अलग हिस्सों का सही से काम नहीं करना रोग कहलाता है

आनुवांशिक विकार, हार्मोन का असंतुलन, शरीर की रोग प्रतिरक्षा प्रणाली का सही तरीके से काम नहीं करना, कुछ ऐसे कारक हैं जो मनुष्य के स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। आंतरिक स्रोतों द्वारा होने वाले रोग जैविक या उपापचयी रोग कहलाते हैं, जैसे: हृदयाघात, गुर्दे का खराब होना, मधुमेह, एलर्जी, कैंसर आदि और बाहरी कारकों द्वारा होने वाले रोगों में क्वाशियोरकोर, मोटापा, रतौंधी, सकर्वी आदि प्रमुख हैं.

कुछ रोग असंतुलित आहार की वजह से सूक्ष्मजीवों जैसे- विषाणु, जीवाणु, कवक, प्रोटोजोआ, कृमि, कीड़ों आदि द्वारा भी होते हैं। पर्यावरण प्रदूषक, तंबाकू, शराब और नशीली दवाएं कुछ ऐसे अन्य महत्वपूर्ण बाहरी कारक हैं जो मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। Diseases and Causes

रोगों के प्रकारः प्रकृति, गुण और प्रसार के कारणों के आधार पर रोग दो प्रकार के होते हैं–

  1. जन्मजात रोग वैसे रोगों को कहा जाता है जो नवजात शिशु में जन्म के समय से ही विद्यमान होते हैं। ये रोग आनुवांशिक अनियमितताओं या उपापचयी विकारों या किसी अंग के सही तरीके से काम नहीं करने की वजह से होते हैं। ये मूल रूप से स्थायी रोग हैं जिन्हें आमतौर पर आसानी से दूर नहीं किया जा सकता है, जैसे – आनुवंशिकता के कारण बच्चों में कटे हुए होंठ (हर्लिप), कटे हुए तालु, हाथीपाँव जैसी बीमारियां, गुणसूत्रों में असंतुलन की वजह से मंगोलिज्म जैसी बीमारी, हृदय संबंधी रोग की वजह से बच्चा नीले रंग का पैदा होना आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।
  2. अर्जित रोग, वैसे रोगों या विकारों को कहते हैं जो जन्मजात नहीं होते लेकिन विभिन्न कारणों और कारकों की वजह से हो जाते हैं। इन्हें निम्नलिखित दो वर्गों में बांटा जा सकता है:
    (i) संचायी या संक्रामक रोगः ये रोग कई प्रकार के रोगजनक वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजोआ, कवक और कीड़ों की वजह से होते हैं। ये रोगजनक आमतौर पर रोगवाहकों की मदद से एक जगह से दूसरे जगह फैलते हैं।
    (ii) गैर–संचारी या गैर–संक्रामक रोग या अपक्षयी रोगः ये रोग मनुष्य के शरीर में कुछ अंगों या अंग प्रणाली के सही तरीके से काम नहीं करने की वजह से होते हैं। इनमे से कई रोग पोषक तत्वों, खनिजों या विटामिनों की कमी से भी होते हैं, जैसे – कैंसर, एलर्जी इत्यादि
रोग कीटाणु
1एनीमिया (Anaemia) टीनिया सोलियम
2निमोनिया डिप्लोकोकस न्यूमोनी
3पेचिस (Dysentery) एंटअमीबा
4काला जार (Kala Axar)लीशमानिया डोनोवानी
5तपेदिक (Tuberculosis)बैसिलस टूबरकुलाई
6चेचक (Smallpox)विषाणु
7मलेरिया (Malaria)प्लाज़मोडियम-प्रोटोजोआ
8एड्स (AIDS)HIV विषाणु
9CVS (Computer Vision Syndrome)कंप्यूटर रेडिएशन

Bacteria से होने वाले प्रमुख खतरनाक रोग

बैक्टीरिया सूक्षम जीव हैं जिनको हम बिना माइक्रोस्कोप की मदद के नहीं देख सकते। वैसे तो प्रकृति के अलावा हमारे शरीर पर लाखों बैक्टीरिया रहते हैं लेकिन इनमें से अधिकतर हमारे लिए हानिकारक नहीं हैं। बल्कि कुछ तो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक होते हैं। इसके बावजूद कुछ बैक्टीरिया घातक बीमारियों को जन्म देते हैं।
बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया में कुछ विषैले तत्व होते हैं जिन्हें एंडोटॉक्सिन और एक्सोटॉक्सिन कहा जाता है। आइए बैक्टीरिया से होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों के बारे में जानते हैं:

बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस

बैक्टीरिया से होने वाली इस बीमारी में हमारे ब्रेन और रीढ़ की हड्डी को ढंकने वाली एक परत मेनिनजिस में सूजन आ जाती है। अगर समय पर इलाज न हो तो यह घातक भी साबित हो सकती है। इससे ब्रेन डैमेज यहां तक कि मौत तक हो जाती है। बैक्टीरिया के अलावा यह कई दूसरे सूक्ष्मजीवों की वजह से हो सकती है। लेकिन बड़ों में यह Neisseria meningitidis, Streptococcus pneumoniae और नवजात बच्चों में Group B Streptococcus, Escherichia coli और Listeria monocytogenes बैक्टीरिया से होती है।

निमोनिया

निमोनिया फेफड़ों का इन्फेक्शन है। इसमें तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत जैसे लक्षण सामने आते हैं। आमतौर पर यह Streptococcus pneumoniae नामके बैक्टीरिया से होता है। ऐंटीबायॉटिक लेने पर सामान्यत: निमोनिया सही हो जाता है। Streptococcus pneumoniae मेनिनजाइटिस के लिए भी जिम्मेदार है।

टीबी या तपेदिक

Tuberculosis या टीबी भी बैक्टीरिया की वजह से होने वाला संक्रामक रोग है। यह Mycobacterium tuberculosis से होता है। अगर इसका इलाज न कराया जाए तो यह जानलेवा साबित हो सकता है। टीबी के इलाज के लिए ऐंटीबायॉटिक का इस्तेमाल किया जाता है।

कॉलेरा

कॉलेरा आंतों का संक्रमण है जो बैक्टीरिया Vibrio cholerae से होता है। यह दूषित भोजन और पानी से फैलता है। इसका भी ऐंटीबॉयोटिक्स की मदद से इलाज किया जाता है।

बैक्टीरिया से होने वाले प्रमुख रोगों की सूचि

रोग का नामरोगाणु का नामप्रभावित अंगलक्षण
हैजाबिबियो कोलेरीपाचन तंत्रउल्टी व दस्त, शरीर में ऐंठन एवं डिहाइड्रेशन
टी. बी.माइक्रोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिसफेफड़ेखांसी, बुखार, छाती में दर्द, मुँह से रक्त आना
कुकुरखांसीवैसिलम परटूसिसफेफड़ाबार-बार खांसी का आना
न्यूमोनियाडिप्लोकोकस न्यूमोनियाईफेफड़ेछाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
ब्रोंकाइटिसजीवाणुश्वसन तंत्रछाती में दर्द, सांस लेने में परेशानी
प्लूरिसीजीवाणुफेफड़ेछाती में दर्द, बुखार, सांस लेने में परेशानी
प्लेगपास्चुरेला पेस्टिसलिम्फ गंथियांशरीर में दर्द एवं तेज बुखार, आँखों का लाल होना तथा गिल्टी का निकलना
डिप्थीरियाकोर्नी वैक्ट्रियमगलागलशोथ, श्वांस लेने में दिक्कत
कोढ़माइक्रोबैक्टीरियम लेप्रतंत्रिका तंत्रअंगुलियों का कट-कट कर गिरना, शरीर पर दाग
टाइफायडटाइफी सालमोनेलआंतबुखार का तीव्र गति से चढऩा, पेट में दिक्कत और बदहजमी
टिटेनसक्लोस्टेडियम टिटोनाईमेरुरज्जुमांसपेशियों में संकुचन एवं शरीर का बेडौल होना
सुजाकनाइजेरिया गोनोरीप्रजनन अंगजेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
सिफलिसट्रिपोनेमा पैडेडमप्रजनन अंगजेनिटल ट्रैक्ट में शोथ एवं घाव, मूत्र त्याग में परेशानी
मेनिनजाइटिसट्रिपोनेमा पैडेडममस्तिष्कसरदर्द, बुखार, उल्टी एवं बेहोशी
इंफ्लूएंजाफिफर्स वैसिलसश्वसन तंत्रनाक से पानी आना, सिरदर्द, आँखों में दर्द
ट्रैकोमाबैक्टीरियाआँखसरदर्द, आँख दर्द
राइनाटिसएलजेनटसनाकनाक का बंद होना, सरदर्द
स्कारलेट ज्वरबैक्टीरियाश्वसन तंत्रबुखार

वायरस से होने वाले रोग

रोग का नाम        प्रभावित अंगलक्षण
गलसुआपेरोटिड लार ग्रन्थियांलार ग्रन्थियों में सूजन, अग्न्याशय, अण्डाशय और वृषण में सूजन, बुखार, सिरदर्द। इस रोग से बांझपन होने का खतरा रहता है।
फ्लू या एंफ्लूएंजाश्वसन तंत्रबुखार, शरीर में पीड़ा, सिरदर्द, जुकाम, खांसी
रेबीज या हाइड्रोफोबियातंत्रिका तंत्रबुखार, शरीर में पीड़ा, पानी से भय, मांसपेशियों तथा श्वसन तंत्र में लकवा, बेहोशी, बेचैनी। यह एक घातक रोग है।
खसरापूरा शरीरबुखार, पीड़ा, पूरे शरीर में खुजली, आँखों में जलन, आँख और नाक से द्रव का बहना
चेचकपूरा शरीर विशेष रूप से चेहरा व हाथ-पैरबुखार, पीड़ा, जलन व बेचैनी, पूरे शरीर में फफोले
पोलियोतंत्रिका तंत्रमांसपेशियों के संकुचन में अवरोध तथा हाथ-पैर में लकवा
हार्पीजत्वचा, श्लष्मकलात्वचा में जलन, बेचैनी, शरीर पर फोड़े
इन्सेफलाइटिसतंत्रिका तंत्रबुखार, बेचैनी, दृष्टि दोष, अनिद्रा, बेहोशी। यह एक घातक रोग है

Diseases and Causes

विटामिन की कमी से होने वाले रोग (Diseases and Causes)

विटामिनकमी से होने वाले रोगस्रोत
विटामिन एरतौंधी, सांस की नली में परत पडऩामक्खन, घी, अण्डा एवं गाजर
विटामिन बी1बेरी-बेरीदाल खाद्यान्न, अण्डा व खमीर
विटामिन बी2डर्मेटाइटिस, आँत का अल्सर,जीभ में छाले पडऩापत्तीदार सब्जियाँ, माँस, दूध, अण्डा
विटामिन बी3चर्म रोग व मुँह में छाले पड़ जानाखमीर, अण्डा, मांस, बीजवाली सब्जियाँ, हरी सब्जियाँ आदि
विटामिन बी6चर्म रेगदूध, अंडे की जर्दी, मटन आदि

इसे भी पढ़ें: मनुष्यों को होने वाले प्रमुख रोग और उनसे प्रभावित अंग

प्रमुख अंत:स्रावी ग्रंथियां एवं उनके कार्य

ग्रन्थि का नाम            हार्मोन्स का नामकार्य
पिट्यूटरी ग्लैंड या पियूष ग्रन्थिसोमैटोट्रॉपिक हार्मोन
थाइरोट्रॉपिक हार्मोन
एडिनोकार्टिको ट्रॉपिक हार्मोन
फॉलिकल उत्तेजक हार्मोन
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन
एण्डीड्यूरेटिक हार्मोन
कोशिकाओं की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थि के स्राव का नियंत्रण करता है।
एड्रीनल ग्रन्थि के प्रान्तस्थ भाग के स्राव का नियंत्रण करता है।
नर के वृषण में शुक्राणु जनन एवं मादा के अण्डाशय में फॉलिकल की वृद्धि का नियंत्रण करता है।
कॉर्पस ल्यूटियम का निर्माण, वृषण से एस्ट्रोजेन एवं अण्डाशय से प्रोस्टेजन के स्राव हेतु अंतराल कोशिकाओं का उद्दीपन
शरीर में जल संतुलन अर्थात वृक्क द्वारा मूत्र की मात्रा का नियंत्रण करता है।
थायराइड ग्रन्थिथाइरॉक्सिन हार्मोनवृद्धि तथा उपापचय की गति को नियंत्रित करता है।
पैराथायरायड ग्रन्थिपैराथायरड हार्मोन
कैल्शिटोनिन हार्मोन
रक्त में कैल्शियम की कमी होने से यह स्रावित होता है। यह शरीर में कैल्शियम फास्फोरस की आपूर्ति को नियंत्रित करता है।
रक्त में कैल्शियम अधिक होने से यह मुक्त होता है।
एड्रिनल ग्रन्थि

कॉर्टेक्स ग्रन्थिमेडुला ग्रन्थि
ग्लूकोर्टिक्वायड हार्मोन
मिनरलोकोर्टिक्वायड्स हार्मोन
एपीनेफ्रीन हार्मोन
नोरएपीनेफ्रीन हार्मोन
कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन एवं वसा उपापचय का नियंत्रण करता है।
वृक्क नलिकाओं द्वारा लवण का पुन: अवशोषण एवं शरीर में जल संतुलन करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है।
अग्नाशय की लैगरहेंस कीइंसुलिन हार्मोनरक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
द्विपिका ग्रन्थिग्लूकागॉन हार्मोनरक्त में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है।
अण्डाशय ग्रन्थिएस्ट्रोजेन हार्मोन
प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन
रिलैक्सिन हार्मोन
मादा अंग में परिवद्र्धन को नियंत्रित करता है।
स्तन वृद्धि, गर्भाशय एवं प्रसव में होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
प्रसव के समय होने वाले परिवर्तनों को नियंत्रित करता है।
वृषण ग्रन्थिटेस्टेरॉन हार्मोननर अंग में परिवद्र्धन एवं यौन आचरण को नियंत्रित करता है।

मनुष्यों में होने वाली अन्य प्रमुख बीमारियां

कैंसरः यह रोग कोशिकाओँ के अनियंत्रित विकास और विभाजन के कारण होता है जिसमें कोशिकाओं का गांठ बन जाता है, जिसे नियोप्लाज्म कहते हैं। शरीर के किसी खास हिस्से में असामान्य और लगातार कोशिका विभाजन को ट्यूमर कहा जाता है।

Diseases and Causes

गाउट: पाँव के जोड़ों में यूरिक अम्ल के कणों के जमा होने से यह रोग होता है| यह यूरिक अम्ल के जन्मजात उपापचय से जुड़ी बीमारी है जो यूरिक अम्ल के उत्सर्जन के साथ बढ़ जाता है।

हीमोफीलिया: हीमोफीलिया को ब्लीडर्स रोग भी कहते हैं। यह लिंग से संबंधित रोग है| हीमोफीलिया के मरीज में, खून का थक्का बनने की क्षमता बहुत कम होती है।

  • हीमोफीलिया ए, यह एंटी– हीमोफीलिया ग्लोब्युलिन फैक्टर– VIII की कमी की वजह से होता है। हीमोफीलिया के पांच में से करीब चार मामले इसी प्रकार के होते हैं।
  • हीमोफीलिया बी या क्रिस्मस डिजीज प्लाज्मा थ्रम्बोप्लास्टिक घटक में दोष के कारण होता है।

हेपेटाइटिसः यह एक विषाणुजनित रोग है जो यकृत को प्रभावित करता है, जिसके कारण लीवर कैंसर या पीलिया नाम की बीमारी हो जाती है। यह रोग मल द्वारा या मुंह द्वारा फैलता है। बच्चे और युवा व्यस्कों में यह रोग होने की संभावना अधिक होती है और अभी तक इसका कोई टीका नहीं बन पाया है। Diseases and Causes

Ad:

Be the first to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published.


*


This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.