Vakyansh Ek Shabd-2 (आ से शुरू होने वाले वाक्यांश)

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Vakyansh Ek Shabd-2 / आ से शुरू होने वाले वाक्यांश के लिए एक शब्द वाक्यांश के लिए एक शब्द अपनी बात को सही और संक्षिप्त रूप से रखना एक कला है. भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए हर भाषा में कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो किसी एक वाक्य के स्थान पर … Read more

Vakyansh Ek Shabd-1 (अ से शुरू होने वाले वाक्यांश)

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Vakyansh Ek Shabd-1 / अ से शुरू होने वाले वाक्यांश के लिए एक शब्द वाक्यांश के लिए एक शब्द अपनी बात को सही और संक्षिप्त रूप से रखना एक कला है. भाषा को सुंदर, आकर्षक और प्रभावशाली बनाने के लिए हर भाषा में कुछ ऐसे शब्द होते हैं जो किसी एक वाक्य के स्थान पर … Read more

यमक अलंकार और श्लेष अलंकार में अंतर

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Yamak Shlesh Alnakar me Antar / यमक और श्लेष अलंकार की परिभाषा तथा यमक और श्लेष अलंकार में अंतर यमक अलंकार जब किसी काव्य में एक ही शब्द की बार-बार आवृति हो, तब वहां यमक अलंकार होता है। हर बार शब्द का अर्थ अलग होता है। यमक अलंकार के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए … Read more

Tulsidas Rachnaye Dohe (तुलसीदास की प्रमुख रचनाएँ)

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Tulsidas Rachnaye Dohe/ Tulsidas ki pramukh rachnaye/ तुलसीदास द्वारा लिखित प्रमुख रचनाएं और दोहे तुलसीदास जी ने अनेक रचनाएँ लिखी है, इनके द्वारा लिखी गयी रचनाएँ हिन्दू धर्म में पवित्र ग्रंथ माने जाते है। हिन्दू धर्म में इनकी कई रचनाओं को पढ़कर भगवान राम, हनुमान और अन्य देवी- देवताओ की प्रार्थना/स्तुति भी की जाती है। … Read more

Tulsidas Famous Dohe Chaupai (तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे और चौपाई)

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Tulsidas Famous Dohe Chaupai/ तुलसीदास के प्रसिद्ध दोहे और चौपाई तथा उनकी व्याख्या/ Tulsidas ke Famous Dohe “दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान, तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण” अर्थ :- तुलसीदास जी कहते हैं कि दया भावना धर्म का मूल है, उसका सार है. अभिमान तो केवल पाप को … Read more

Rahimdas Dohe Arth (रहीमदास के प्रसिद्ध दोहे)

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Rahimdas Dohe Arth / रहीमदास के प्रसिद्ध दोहे / Rahimdas ke famous dohe “रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोयसुनी इठलैहैं लोग सब, बांटी न लेंहैं कोय” अर्थ: रहीमदास जी कहते हैं कि अपने मन के दुःख को मन के भीतर ही छिपा कर ही रखना चाहिए क्योंकि दूसरे लोग आपका दुःख सुनकर … Read more

Balak vikas ki awasthaye (बालक विकास की अवस्थाएं)

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Balak vikas ki awasthaye/ बाल विकास की प्रमुख अवस्थाएं बालक के विकास को समय समय पर विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न भागों में बांटा है। इनमें समानता सिर्फ गर्भाधान से लेकर परिपक्वावस्था या प्रौढ़ावस्था की अवधि की है जबकि अन्य रूपों में सभी भिन्नता रखते हैं। Balak vikas ki awasthaye कोल, जॉन्स, सैले, कालसनिक, आदि विद्वानों … Read more

Manav Mool Pravrati Hindi (मानव की मूल प्रवृति)

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Manav Mool Pravrati Hindi/ Manav ki Mool Pravrati मानव जो कार्य बिना सीखे हुए जन्मजात या प्राकृतिक प्रेरणाओं के आधार पर करता है वह मानव की मूल प्रवृत्ति कहलाती है. या दूसरे शब्दों में कहें तो- “मानव की मूल प्रवृत्ति वह क्रिया है जो जन्मजात होती है। यह एक आन्तरिक बल की तरह है जो … Read more

Bal Vikas Vriddhi (वृद्धि और विकास)

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Bal Vikas Vriddhi / वृद्धि और विकास / Principles of Accretion and Development in Hindi हरलाक के अनुसार: “बालक में नवीन विशेषताओं और नवीन योग्ताओं का प्रकट होना ही विकास कहलाता है” विकास के सिद्धांत (Principles of Development) विकास का सिद्धांत दो प्रकार का होता है: सामान्य सिद्धांत विशिष्ट सिद्धांत विकास का सामान्य सिद्धांत निरंतरता … Read more

Adhigam ka Niyam (अधिगम की प्रकिया)

Adhigam ka Niyam / अधिगम की प्रकिया / The Process of Learning in Hindi अधिगम का मतलब होता है सीखने की प्रक्रिया,किसी क्रिया स्थिति के प्रति सक्रियता, प्रतिक्रिया या अनुक्रिया स्किनर के अनुसार: “सीखना व्यवहार में उत्तरोत्तर सामंजस्य की प्रक्रिया है” वुडवर्थ के अनुसार: “नवीन ज्ञान और नवीन प्रतिक्रियाओं को प्राप्त करने की प्रक्रिया, सीखने … Read more

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