Madhur madhur kuchh ga (मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक)- माखनलाल चतुर्वेदी

Madhur madhur kuchh ga, मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! प्रलय-प्रणय की मधु-सीमा में जी का विश्व बसा दो मालिक! रागें हैं लाचारी मेरी, तानें बान तुम्हारी मेरी, इन रंगीन मृतक खंडों पर, अमृत-रस ढुलका दो मालिक! मधुर-मधुर कुछ गा दो मालिक! जब … Read more

Usha ke sang Kavita (ऊषा के सँग पहिन अरुणिमा कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Usha ke sang Kavita, ऊषा के सँग पहिन अरुणिमा, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. ऊषा के सँग, पहिन अरुणिमा मेरी सुरत बावली बोली- उतर न सके प्राण सपनों से, मुझे एक सपने में ले ले। मेरा कौन कसाला झेले? तेर एक-एक सपने पर सौ-सौ जग न्यौछावर राजा। छोड़ा तेरा जगत-बखेड़ा चल उठ, … Read more

Us prabhat tu baat (उस प्रभात तू बात न माने कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Us prabhat tu baat, उस प्रभात, तू बात न माने, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. उस प्रभात, तू बात न माने, तोड़ कुन्द कलियाँ ले आई, फिर उनकी पंखड़ियाँ तोड़ीं पर न वहाँ तेरी छवि पाई, कलियों का यम मुझ में धाया तब साजन क्यों दौड़ न आया? फिर पंखड़ियाँ ऊग उठीं … Read more

Bhai Chhedo nahi mujhe (भाई छेड़ो नही मुझे कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Bhai Chhedo nahi mujhe, भाई छेड़ो नही मुझे, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. भाई, छेड़ो नहीं, मुझे खुलकर रोने दो यह पत्थर का हृदय आँसुओं से धोने दो, रहो प्रेम से तुम्हीं मौज से मंजु महल में, मुझे दुखों की इसी झोपड़ी में सोने दो। कुछ भी मेरा हृदय न तुमसे कह … Read more

Chalo chhiya chhi ho (चलो छिया-छी हो अन्तर में कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Chalo chhiya chhi ho, चलो छिया-छी हो अन्तर में, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. चलो छिया-छी हो अन्तर में! तुम चन्दा मैं रात सुहागन चमक-चमक उट्ठें आँगन में चलो छिया-छी हो अन्तर में! बिखर-बिखर उट्ठो, मेरे धन, भर काले अन्तस पर कन-कन, श्याम-गौर का अर्थ समझ लें जगत पुतलियाँ शून्य प्रहर में … Read more

Yeh Kiska man dola (यह किसका मन डोला कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Yeh Kiska man dola, यह किसका मन डोला, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. यह किसका मन डोला? मृदुल पुतलियों के उछाल पर, पलकों के हिलते तमाल पर, नि:श्वासों के ज्वाल-जाल पर, कौन लिख रहा व्यथा कथा? किसका धीरज `हाँ’ बोला? किस पर बरस पड़ीं यह घड़ियाँ यह किसका मन डोला? करुणा के … Read more

Jagna apradh Kavita (जागना अपराध कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Jagna apradh Kavita, जागना अपराध, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. जागना अपराध! इस विजन-वन गोद में सखि, मुक्ति-बंधन-मोद में सखि, विष-प्रहार-प्रमोद में सखि, मृदुल भावों स्नेह दावों अश्रु के अगणित अभावों का शिकारी – आ गया विध व्याध; जागना अपराध! Jagna apradh Kavita बंक वाली, भौंह काली, मौत, यह अमरत्व ढाली, करुण … Read more

Tum mand chalo Kavita (तुम मन्द चलो कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Tum mand chalo Kavita, तुम मन्द चलो, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. तुम मन्द चलो, ध्वनि के खतरे बिखरे मग में- तुम मन्द चलो। सूझों का पहिन कलेवर-सा, विकलाई का कल जेवर-सा, घुल-घुल आँखों के पानी में- फिर छलक-छलक बन छन्द चलो। पर मन्द चलो। प्रहरी पलकें? चुप, सोने दो! धड़कन रोती … Read more

Basant Manmana Kavita (बसंत मनमाना कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Basant Manmana Kavita, बसंत मनमाना, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. चादर-सी ओढ़ कर ये छायाएँ तुम कहाँ चले यात्री, पथ तो है बाएँ। धूल पड़ गई है पत्तों पर डालों लटकी किरणें छोटे-छोटे पौधों को चर रहे बाग में हिरणें, दोनों हाथ बुढ़ापे के थर-थर काँपे सब ओर किन्तु आँसुओं का होता … Read more

Doobon ke darbar me (दूबों के दरबार में कविता)- माखनलाल चतुर्वेदी

Doobon ke darbar me, दूबों के दरबार में, माखनलाल चतुर्वेदी (Makhanlal Chaturvedi) द्वारा लिखित कविता है. क्या आकाश उतर आया है दूबों के दरबार में? नीली भूमि हरी हो आई इस किरणों के ज्वार में ! क्या देखें तरुओं को उनके फूल लाल अंगारे हैं; बन के विजन भिखारी ने वसुधा में हाथ पसारे हैं। … Read more

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