AIDS Full form: Acquired Immune Deficiency Syndrome

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AIDS Full form

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AIDS Full form: Acquired Immune Deficiency Syndrome एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम

AIDS का फुल फॉर्म है: Acquired Immune Deficiency Syndrome (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) यानि हिंदी में कहें तो उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण.

यह मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु यानि HIV (एच.आई.वी) विषाणु से संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है। AIDS (एड्स) स्वयं कोई बीमारी नही है लेकिन एड्स से पीड़ित मनुष्य का शरीर संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु आदि से होती हैं, के प्रति अपनी प्राकृतिक प्रतिरोधी शक्ति खो बैठता है क्योंकि HIV एच.आई.वी (वह वायरस जिससे कि एड्स होता है) रक्त में उपस्थित प्रतिरोधी पदार्थ लसीका-कोशो पर आक्रमण करता है। AIDS Full form

धीरे-धीरे एड्स पीड़ित व्यक्ति के शरीर में प्रतिरोधक क्षमता इतनी कम हो जाती है कि कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर क्षय रोग (TB) जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं।

HIV (एच.आई.वी.) संक्रमण को एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है। कई बार देखा गया है कि HIV एच.आई.वी से ग्रस्त व्यक्ति अनेक वर्षों तक बिना किसी विशेष लक्षणों जिन्दा रहा है। AIDS Full form

HIV (एचआईवी) क्या है?

HIV (एचआईवी) एक प्रकार का वायरस है जिसके कारण सबसे घातक बीमारी एड्स होती है. एचआईवी वायरस एक इंसान में दूसरे इंसान तक रक्त एवं सीमेन (वीर्य ) के द्वारा संक्रमण करता है. अगर कोई व्यक्ति HIV एचआईवी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसे HIV+ (एचआईवी पॉजिटिव) कहते हैं. जैसा कि ऊपर ही बताया जा चुका है कि  HIV+ (एचआईवी पॉजिटिव) से एड्स की स्थिति तक पहुंचने में 8 से 10 वर्ष या इससे भी अधिक समय लग सकता है।

एड्स की भयावहता

अगर वर्तमान समय की सबसे बड़ी बीमारियों या स्वास्थ्य समस्याओं की बात की जाए तो उनमें एड्स  सबसे प्रमुख है. यानि कि यह एक महामारी है। AIDS Full form

एड्स के संक्रमण के तीन मुख्य कारण हैं –

  1. असुरक्षित यौन संबंध
  2. रक्त के आदान-प्रदान
  3. माँ से शिशु में संक्रमण

राष्ट्रीय उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण नियंत्रण कार्यक्रम और संयुक्त राष्ट्रसंघ उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण दोनों ही यह मानते हैं कि भारत में 80 से 85 प्रतिशत संक्रमण असुरक्षित विषमलिंगी/विषमलैंगिक यौन संबंधों से फैल रहा है। माना जाता है कि सबसे पहले इस रोग का विषाणु: एच.आई.वी, अफ्रीका के एक खास प्रजाति की बंदर में पाया गया और वहीं से ये पूरी दुनिया में फैला। अभी तक इसे लाइलाज माना जाता है लेकिन दुनिया भर में इसका इलाज पर शोधकार्य चल रहे हैं। 1981 में एड्स की खोज से बाद से अब तक इससे लगभग 30 करोड़  से ज्यादा लोग अपनी जान गंवा बैठे हैं। AIDS Full form

एड्स और एच.आई.वी में अंतर (Difference between AIDS and HIV in Hindi)

कई बार लोग AIDS और HIV को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. वे इन दोनों क एक ही चीज समझते हैं लेकिन इन दोनों में अंतर होता है. एड्स का पूरा नाम ‘एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंशी सिंड्रोम’ (acquired immune deficiency syndrome) है और यह एक तरह के विषाणु जिसका नाम HIV (Human immunodeficiency virus) है, से फैलती है. अगर किसी को HIV है तो ये जरुरी नहीं की उसको AIDS (एड्स) भी है.

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HIV वायरस की वजह से एड्स होता है और अगर समय रहते वायरस का इलाज़ कर दिया गया तो एड्स होने का खतरा कम हो जाता है.

आइये देखते हैं AIDS और HIV में मुख्य अंतर क्या हैं:

HIV (एच.आई.वी) एक अतिसूक्षम रोग विषाणु हैं जिसकी वजह से एड्स हो सकता है।

एड्स स्वयं में कोई रोग नहीं है बल्कि एक संलक्षण (Symptom) है जो मनुष्य की अन्य रोगों से लड़ने की नैसर्गिक प्रतिरोधक क्षमता को घटा देता हैं। प्रतिरोधक क्षमता के क्रमशः धीरे-धीरे कम होने के कारण  कोई भी अवसरवादी संक्रमण, यानि आम सर्दी जुकाम से ले कर फुफ्फुस प्रदाह, टीबी (TB) यानि क्षय रोग, कर्क रोग यानि कैंसर जैसे रोग तक सहजता से हो जाते हैं और उनका इलाज करना कठिन हो जाता हैं और मरीज़ की मृत्यु भी हो सकती है। यही कारण है की एड्स परीक्षण महत्वपूर्ण है। AIDS Full form

सिर्फ एड्स परीक्षण से ही निश्चित रूप से संक्रमण का पता लगाया जा सकता है। एड्स एक तरह का संक्रामक यानि कि एक से दूसरे को और दूसरे से तीसरे को होने वाली एक गंभीर बीमारी है.

भारत में एड्स (AIDS in India)

ब्रिटिश मेडिकल जर्नल (British Medical Journal)  के हाल के एक अध्ययन के अनुसार, भारत में लगभग 14-16 लाख लोग एचआईवी / एड्स से प्रभावित है. हालांकि 2005 में मूल रूप से यह अनुमान लगाया गया था कि भारत में लगभग 55 लाख एचआईवी / एड्स से संक्रमित हो सकते थे। 2007 में और अधिक सटीक अनुमान के अनुसार भारत में एचआईवी / एड्स से प्रभावित लोगों कि संख्या को 25 लाख के करीब है। ये नए आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन और यू.एन.एड्स द्वारा समर्थित हैं. संयुक्त राष्ट्र कि 2011 के एड्स रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों भारत में नए एचआईवी संक्रमणों की संख्या में 50% तक की गिरावट आई है.

भारत में एड्स से प्रभावित लोगों की बढ़ती संख्या के संभावित कारण

  • भारत की गरीब और अशिक्षित आम जनता को एड्स के विषय में सही जानकारी नही है.
  • भारत में एड्स तथा अन्य यौन रोगों के विषयों को कलंकित समझा जाता है.
  • शिक्षा में यौन शिक्षण व जागरूकता बढ़ाने वाले पाठ्यक्रम का अभाव है.
  • कई धार्मिक संगठनों का गर्भ निरोधक के प्रयोग को अनुचित ठहराना आदि।

परीक्षा में पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण फुल फॉर्म

एड्स के लक्षण (Symptoms of AIDS)

HIV से संक्रमित लोगों में लम्बे समय तक एड्स के कोई लक्षण नहीं दिखते हैं. लगभग 3 या 6 महीने या कभी-कभी अधिक समय तक भी एच.आई.वी के विषाणु औषधिक परीक्षा में नहीं पकड़ में आते हैं।

एड्स के कुछ प्रारम्भिक और सबसे आम लक्षण हैं:

  • थकान सिरदर्द
  • मतली व भोजन से अरुचि
  • लसीकाओं में सूजन
  • बुखार होना
  • गले में ख़राश
  • शरीर पर चकत्ते

इसके कुछ अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे

  • थकान होना
  • जोड़ों का दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द
  • ग्रंथियों में सूजन
  • वज़न घटना
  • लम्बे समय तक दस्त
  • रात को पसीना आना
  • त्वचा की समस्याएं
  • बार-बार संक्रमण होना
  • गंभीर जानलेवा बीमारियां
  • बुखार
  • सिरदर्द
  • मतली व भोजन से अरुचि
  • लसीकाओं में सूजन

ध्यान रहे कि ये समस्त लक्षण साधारण बुखार या अन्य सामान्य रोगों के भी हो सकते हैं। अतः एड्स की निश्चित रूप से पहचान केवल और केवल, औषधीय परीक्षण से ही की जा सकती है और ऐसे ही की भी जानी चाहिये। AIDS Full form

एचआईवी संक्रमण के तीन मुख्य चरण हैं:

  1. तीव्र संक्रमण
  2. नैदानिक विलंबता
  3. एड्स.

कई बार ऐसा भी देखा गया है कि एचआईवी से संक्रमित लोगों को कम समय के लिए फ्लू जैसे लक्षणों का अनुभव होता है जो संक्रमण होने के 2-6 सप्ताह बाद होते हैं। इसके बाद हो सकता है कि एचआईवी का कई सालों तक कोई लक्षण न हों।

एचआईवी/एड्स के कारण ( HIV/AIDS Causes in Hindi)

पूरी दुनिया भर में इस समय लगभग 4 करोड़ 20 लाख लोग एच.आई.वी का शिकार हैं। इनमें से दो तिहाई सहारा से लगे अफ़्रीकी देशों में रहते हैं। दुनिया भर में लगभग 14,000 लोग प्रतिदिन इसका शिकार हैं. अगर ऐसा ही रहा तो ये बहुत जल्दी ही एशिया को भी पूरी तरह चपेट में ले लेगा।

एड्स का अबतक कोई कारगर इलाज नहीं खोजा गया है इसलिए एड्स से बचना ही एड्स का सर्वोत्तम उपचार है।

एच.आई.वी. मुख्यत: तीन मार्गों से फैलता है:

  • मैथुन या सम्भोग द्वारा (गुदा, योनिक या मौखिक)
  • शरीर के संक्रमित तरल पदार्थ या ऊतकों द्वारा (रक्त संक्रमण या संक्रमित सुइयों के आदान-प्रदान)
  • माता से शीशु मे (गर्भावस्था, प्रसव या स्तनपान द्वारा)

मल, नाक स्रावों, लार, थूक, पसीना, आँसू, मूत्र, या उल्टी से एच. आई. वी. संक्रमित होने का खतरा तबतक नहीं होता जबतक कि ये एच. आई. वी संक्रमित रक्त के साथ दूषित न हो.यौन संबंधों द्वारा

अगर साधारण कारणों को देखें तो एच.आई.वी. संक्रमण के निम्नलिखित मुख्य कारण हैं:

  • रक्त के संचरण द्वारा
  • सुइयों के साझे प्रयोग द्वारा
  • गर्भावस्था या प्रसव या स्तनपान द्वारा
  • पुरुषों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने वाले पुरुष
  • इंजेक्शन से नशा करने वाले लोग

एड्स से कैसे बचें?

एड्स से बचने के लिए निम्नलिखित सावधानियां बहुत जरुरी हैं:

  • अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहें। एक से अधिक व्यक्ति से यौनसंबंध ना रखें।
  • यौन संबंध (मैथुन) के समय कंडोम का सदैव प्रयोग करें।
  • यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो अपने जीवनसाथी से इस बात का खुलासा अवश्य करें। बात छुपाये रखनें तथा इसी स्थिति में यौन संबंध जारी रखनें से आपका साथी भी संक्रमित हो सकता है और आपकी संतान पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है.
  • यदि आप एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित हैं तो रक्तदान कभी ना करें।
  • रक्त ग्रहण करने से पहले रक्त का एच.आई.वी परीक्षण कराने पर ज़ोर दें।
  • यदि आप को एच.आई.वी संक्रमण होने का संदेह हो तो तुरंत अपना एच.आई.वी परीक्षण करा लें। उल्लेखनीय है कि अक्सर एच.आई.वी के कीटाणु, संक्रमण होने के 3 से 6 महीनों बाद भी, एच.आई.वी परीक्षण द्वारा पता नहीं लगाये जा पाते।
  • अतः तीसरे और छठे महीने के बाद एच.आई.वी परीक्षण अवश्य दोहरायें।

एड्स इन कारणों से नहीं फैलता

एड्स के बारे में बहुत सारे भ्रम हैं लेकिन ये बात सबको पता होनी चाहिए कि एड्स निम्नलिखित कारणों से नहीं फैलता है:

  • एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति से हाथ मिलाने से.
  • एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के साथ रहने से या उनके साथ खाना खाने से।
  • एक ही बर्तन या रसोई में स्वस्थ और एच.आई.वी संक्रमित या एड्स ग्रसित व्यक्ति के खाना बनाने से भी एड्स नहीं फैलता।

प्रारंभिक अवस्था में एड्स के लक्षण

  • तेज़ी से अत्याधिक वजन घटना
  • सूखी खांसी
  • लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक/असाधारण मात्रा में पसीने छूटना
  • जंघाना, कक्षे और गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसिकायें
  • एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना। लम्बे समय तक गंभीर हैजा।
  • फुफ्फुस प्रदाह
  • चमड़ी के नीचे, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे।
  • निरंतर भुलक्कड़पन.

एड्स रोग का इलाज (HIV/AIDS Treatment in Hindi)

औषधी विज्ञान में एड्स के इलाज के लिए निरंतर शोध जारी है. भारत, जापान, अमरीका, यूरोपीय देश और अन्य देशों में इस के इलाज व इससे बचने के टीकों की खोज जारी है। हालांकि एड्स के मरीज़ कुछ समय तक साधारण जीवन जीने में सक्षम होते हैं परंतु आगे चल कर ये खतरा पैदा कर सकता हैं। एड्स आज भारत में एक महामारी का रूप हासिल कर चुका है। भारत में एड्स रोग की चिकित्सा महंगी है, एड्स की दवाईयों की कीमत आम आदमी की आर्थिक पहुँच के परे है। कुछ विरल मरीजों में सही चिकित्सा से 10-12 वर्ष तक एड्स के साथ जीना संभव पाया गया है, किंतु यह आम बात नही है।

ऐसी दवाईयाँ अब उपलब्ध हैं जिन्हें प्रति उत्त्क्रम-प्रतिलिपि-किण्वक विषाणु चिकित्सा ( anti reverse transcript enzyme viral therapy or anti-retroviral therapy) दवाईयों के नाम से जाना जाता है। सिपला (Cipla) की ट्रायोम्यून जैसी यह दवाईयाँ महँगी हैं, प्रति व्यक्ति सालाना खर्च तकरीबन 15000 रुपये होता है और ये हर जगह आसानी से भी नहीं मिलती। इनके सेवन से बीमारी थम जाती है पर समाप्त नहीं होती। अगर इन दवाओं को लेना रोक दिया जाये तो बीमारी फ़िर से बढ़ जाती है, इसलिए एक बार बीमारी होने के बाद इन्हें जीवन भर लेना पड़ता है। अगर दवा न ली जायें तो बीमारी के लक्षण बढ़ते जाते हैं और एड्स से ग्रस्त व्यक्तियों की मृत्यु भी हो जाती है।

एचआईवी/एड्स की रोकथाम की कुछ दवाइयाँ (HIV/AIDS Medicine in Hindi)

एचआईवी/एड्सके संक्रमण से लड़ने के लिए कुछ दवाइयाँ उपलब्ध हैं. ये दवाइयाँ वायरस के गुणन को रोकती हैं जिससे शरीर में एचआईवी का फैलाव धीरे होता है।

  • एबेकवीर (Abacavir)
  • डिडेनोसिन (Didanosine)
  • एमट्रीसीटाबीन (Emtricitabine)
  • लेमिवुडाईन (एपिवीर) (Lamivudine (Epivir))
  • स्टवुडिन (Stavudine)
  • टेनोफ़ोविर (वीरेड) (Tenofovir (Viread))
  • ज़ैल्सीटाबाइन (Zalcitabine)
  • जिडोवोडिन (Zidovudine)
  • प्रोटेस इनहिबिटर (पीआई) (Protease Inhibitors (PI) )

ये एफडीए द्वारा स्वीकृत दवाइयाँ वायरस के गुणन में बाधा डालती हैं:

  • एम्प्रेनावीर (Amprenavir)
  • अताजनाविर (Atazanavir)
  • फ़ॉस्म्पेरनाविर (Fosamprenavir)
  • इंडिनवीर (Indinavir)
  • लोपिनाविर (Lopinavir)
  • रिटोनावीर (Ritonavir)
  • सेक्विनावीर (Saquinavir)

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